हाइलाइट्स :
- गिरिडीह में नशा मुक्त भारत अभियान पर एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित
- जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेह कश्यप ने नशा मुक्ति में समाज की भूमिका को अहम बताया
- डायन प्रथा को सबसे बड़ा अभिशाप बताते हुए इसे खत्म करने की अपील
- महिला सम्मान, भ्रूण हत्या और सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन पर जागरूकता कार्यक्रम
- नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने का संदेश
गिरिडीह में नशा मुक्ति अभियान को लेकर कार्यशाला
गुरुवार को गिरिडीह के अशोका इंटरनेशनल होटल में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के तत्वावधान में नशा मुक्त भारत अभियान को लेकर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जिला समाज कल्याण पदाधिकारी (डीएसडब्ल्यूओ), बाल विकास परियोजना पदाधिकारी और अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर की गई।
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेह कश्यप ने कहा कि गिरिडीह जिले को नशामुक्त बनाने के उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई है। उन्होंने बताया कि नशे की लत से न सिर्फ व्यक्ति बल्कि पूरा परिवार प्रभावित होता है, इसलिए इसे रोकने के लिए सामाजिक सहयोग की जरूरत है। उन्होंने समाज के हर वर्ग से इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग देने की अपील की, ताकि आने वाली पीढ़ी को नशे की चपेट में आने से बचाया जा सके।
डायन प्रथा सबसे बड़ा सामाजिक अभिशाप
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएसडब्ल्यूओ स्नेह कश्यप ने डायन प्रथा को समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बताया। उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। नुक्कड़ नाटकों और प्रचार-प्रसार के माध्यम से अंधविश्वास को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं का समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होता है, इसलिए महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने की जरूरत है। उन्होंने सभी से भ्रूण हत्या, महिला उत्पीड़न और डायन प्रथा जैसी कुरीतियों के उन्मूलन में सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की।
नुक्कड़ नाटक के जरिए अंधविश्वास पर चोट
कार्यशाला में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया, जिसमें डायन प्रथा, नशा और अंधविश्वास के दुष्प्रभावों को दर्शाया गया। कलाकारों ने “झाड़-फूंक को छोड़ो, डॉक्टर से नाता जोड़ो”, “नशा नाश का दूसरा नाम”, “तन, मन, धन तीनों बेकार, अपना नहीं तो परिवार का ख्याल करो” जैसे स्लोगनों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।
कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, बाल संरक्षण अधिकारी, डीसीपीयू यूनिट के अधिकारी, सभी सुपरवाइजर, सेविका, सहायिका समेत अन्य विभागों के अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।
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‘न्यूज़ देखो’ की रिपोर्ट
गिरिडीह में सामाजिक कुरीतियों और नशा मुक्ति को लेकर चलाए जा रहे अभियान समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि इन अभियानों को जमीनी स्तर पर कितनी सफलता मिल रही है? क्या ग्रामीण क्षेत्रों तक इस जागरूकता का प्रभाव पहुंच रहा है?
‘न्यूज़ देखो’ हर ऐसे सामाजिक अभियान पर नजर बनाए रखेगा और सरकार की पहल को जमीनी हकीकत से जोड़कर दिखाएगा, क्योंकि “हर खबर पर रहेगी हमारी नज़र”।