- मधुबन में 12 मार्च को मरांग बुरु जुग जाहर थान संगठन के नेतृत्व में आदिवासी संगठनों का प्रतिरोध मार्च होगा।
- जैन समाज पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए आदिवासी संगठनों ने पारसनाथ पहाड़ पर अपने अधिकार की मांग की।
- 3 मार्च को पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासी पूजा का आयोजन, 7 मार्च को हर जिले में धरना प्रदर्शन होगा।
- सम्मेद शिखर जी पर स्वामित्व विवाद को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है।
विवाद की पृष्ठभूमि
गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़, जिसे जैन समाज के लिए पवित्र तीर्थस्थल सम्मेद शिखर जी के रूप में जाना जाता है, पर एक बार फिर स्वामित्व को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मरांग बुरु जुग जाहर थान संगठन के नेतृत्व में आदिवासी संगठनों ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हुए जैन समाज पर अतिक्रमण का आरोप लगाया है।
आदिवासी संगठनों की रणनीति
इस विवाद को लेकर आदिवासी संगठनों ने तीन चरणों में विरोध कार्यक्रम की घोषणा की है:
- 3 मार्च: पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासी पूजा का आयोजन।
- 7 मार्च: झारखंड के सभी जिलों में धरना प्रदर्शन।
- 12 मार्च: मधुबन में प्रतिरोध मार्च का आयोजन, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय की भागीदारी होगी।
आदिवासी संगठन का बयान
“पारसनाथ पहाड़ हमारी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। जैन समाज द्वारा इस पर किया जा रहा अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी मांग है कि इस क्षेत्र को आदिवासी समुदाय को लौटाया जाए।” — मरांग बुरु जुग जाहर थान संगठन
विवाद का असर
पारसनाथ पहाड़ पर स्वामित्व को लेकर समय-समय पर विवाद सामने आता रहा है, लेकिन इस बार आदिवासी संगठनों की रणनीति और विरोध कार्यक्रम के कारण स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो गई है। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशासन सतर्क है।
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