आस्था

संस्कारयुक्त साधन ही उपहार बनता है – प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज

सिंगरा: मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र के सिंगरा में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ गुरुवार को संपन्न हो गया। अंतिम दिन श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही, जहां लोग मंडप की परिक्रमा कर रहे थे। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए श्री प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जीवन के गूढ़ संदेश दिए।

स्वामी जी ने कहा कि जैसे गंगा में बहते कचरे को छोड़कर हम सिर्फ जल ग्रहण करते हैं, वैसे ही इंसान को दूसरों से उनके गुणों को ग्रहण करना चाहिए और दोषों को छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वही कर्म, आचरण और व्यवहार महत्वपूर्ण हैं, जो मानवता और राष्ट्र के कल्याण के साथ-साथ हमारे संस्कारों की रक्षा करते हैं। साधन संसाधन तभी उपहार बनते हैं जब उनमें संस्कार हों, अन्यथा वे बोझ बन जाते हैं।

स्वामी जी ने यह भी कहा कि चाहे आप कितने भी समृद्ध क्यों न हों, अगर आपका आचरण सही नहीं है, तो आपको बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने श्रीकृष्ण के उपदेश का जिक्र करते हुए कहा कि भक्ति और सत्संग से ही भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। स्वामी जी ने वर्ण व्यवस्था की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य समाज का उत्थान था, जो आज की जातिगत व्यवस्थाओं की तरह समाज में विभाजन नहीं करता था।

संन्यासियों की दिनचर्या पर स्वामी जी का संदेश
प्रपन्न जीयर स्वामी जी ने कहा कि संन्यासियों को सभी महिलाओं को माता के रूप में देखना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति कभी भटकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संन्यासियों को किसी महिला की तस्वीर या मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पथभ्रष्ट होने का खतरा होता है।

भारतीय संस्कृति और विश्व कल्याण
श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के चौथे दिन आयोजित धर्म सम्मेलन में लगभग दो सौ से अधिक संतों ने भाग लिया। सम्मेलन में मानव धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के विषयों पर गहन चर्चा हुई। संतों ने कहा कि धर्म मानवता का रक्षक है और अगर धर्म से खिलवाड़ किया गया, तो वही धर्म विनाशकारी बन सकता है। सेवा को धर्म का सर्वोच्च रूप बताया गया। भारतीय संस्कृति में विश्व कल्याण की सोच और सेवा को सर्वोपरि माना गया है।

महिलाओं की सुरक्षा और धर्म
संतों ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं की सुरक्षा को धर्म माना गया है। इसी कारण रावण द्वारा सीता के अपहरण के समय गिद्ध राज जटायु ने अपने धर्म का पालन करते हुए जान की बाजी लगा दी। धर्म की रक्षा के लिए सही आचरण का पालन करना ही असली संस्कार है। सभा में जगद्गुरु अयोध्या नाथ स्वामी, वृंदावन से जगतगुरु चतुर्भुज स्वामी जी और कई अन्य विद्वान आचार्यों ने अपने विचार साझा किए।


यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250610-WA0011
Engineer & Doctor Academy
Radhika Netralay Garhwa
20250610_145622
1000264265
IMG-20250604-WA0023 (1)
आगे पढ़िए...
नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Back to top button
error: