- ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी संथाल टीचर्स एसोसिएशन और संताल परगना स्टूडेंट्स यूनियन ने सांसद को सौंपा मांग पत्र
- देवनागरी लिपि में संताली भाषा की उच्च शिक्षा सामग्री तैयार करने की अपील
- ओलचिकी लिपि को अवैज्ञानिक बताते हुए संताली भाषा के लिए देवनागरी को उपयुक्त बताया
- सांसद नलिन सोरेन ने इस मुद्दे पर हरसंभव पहल करने का आश्वासन दिया
प्रतिनिधिमंडल ने सांसद को सौंपा मांग पत्र
काठीकुंड: ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी संथाल टीचर्स एसोसिएशन (AIUSTA) और संताल परगना स्टूडेंट्स यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को दुमका सांसद नलिन सोरेन से उनके आवास पर मुलाकात की। उन्होंने **संताली भाषा की उच्च शिक्षा सामग्री को देवनागरी लिपि में तैयार करने** और **सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों में नर्सरी से पीजी तक संताली भाषा की पढ़ाई देवनागरी लिपि में जारी रखने** की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। यह मांग केंद्रीय शिक्षा मंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री को संबोधित थी।
संताली भाषा के लिए देवनागरी लिपि को उपयुक्त बताया
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 18 मई 1944 को संताली भाषा को संताल परगना के लिए न्यायालय की वैकल्पिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। शिक्षा विभाग द्वारा पहले ही देवनागरी लिपि को मान्यता दी गई थी और झारखंड सरकार इसका पालन कर रही है।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ओडिशा में मुंडारी भाषा समूह के लिए बनी ओलचिकी लिपि अवैज्ञानिक और दोषपूर्ण है। इससे संताली भाषा विकृत हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि ओलचिकी लिपि के समर्थक झारखंड की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहते हैं और संताल परगना में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
देवनागरी को बताया वैज्ञानिक और उपयुक्त
एआईयूएसटीए ने अपने मांगपत्र में कहा कि संताली भाषा की ध्वनि संरचना और वैज्ञानिकता के लिहाज से देवनागरी लिपि सर्वश्रेष्ठ है। अन्य किसी भी लिपि में संताली भाषा की सभी ध्वनियों को वैज्ञानिक रूप से समायोजित करने की क्षमता नहीं है। इसलिए उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए संताली भाषा की सभी पाठ्य पुस्तकों का लेखन और प्रकाशन देवनागरी लिपि में करने की मांग की।
सांसद नलिन सोरेन का आश्वासन
सांसद नलिन सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल को इस मुद्दे पर हरसंभव पहल करने का आश्वासन दिया। इस मौके पर ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी संथाल टीचर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष हॉ शर्मिला सोरेन, संताल परगना स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष विमल मुर्मू, उपाध्यक्ष राजेश पावरिया, सलाहकार विनोद हांसदा और जितेश टुड्डू समेत कई अन्य सदस्य मौजूद थे।
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संताली भाषा में उच्च शिक्षा और पाठ्य पुस्तकों की लिपि को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। क्या सरकार देवनागरी लिपि में संताली भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करेगी? इस मुद्दे पर होने वाले नए फैसलों और अपडेट्स के लिए ‘News देखो’ के साथ बने रहें!