#लातेहार #जिप_बैठक : जनहित से जुड़े मामलों पर संतोषी शेखर का जोर
- बरवाडीह प्रखंड के बेतला में डेढ़ करोड़ की लागत से डाक बंगला बनेगा।
- आपूर्ति पदाधिकारी रामनाथ यादव की कार्यशैली पर सवाल, जांच के आदेश।
- मोरवाई मंडल में हाई स्कूल निर्माण की मांग।
- प्लस टू स्कूल के जर्जर भवन के जीर्णोद्धार और चारदीवारी निर्माण का मुद्दा।
- अधूरा मॉडल स्कूल भवन और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर आवाज बुलंद।
बरवाडीह (लातेहार) में आयोजित जिला परिषद की बैठक में सदस्य संतोषी शेखर ने कई जनहित से जुड़े मुद्दे उठाए। बैठक के दौरान यह जानकारी दी गई कि बरवाडीह प्रखंड के बेतला में करीब डेढ़ करोड़ की लागत से डाक बंगला निर्माण की मंजूरी मिल गई है और प्रस्ताव विभाग को भेजा जा चुका है। यह प्रखंडवासियों के लिए एक बड़ी सुविधा होगी।
आपूर्ति अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल
बैठक में संतोषी शेखर ने प्रखंड के प्रभारी आपूर्ति अधिकारी रामनाथ यादव की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि यादव लगातार विवादों में रहते हैं। इस पर जिला परिषद सचिव सह उप विकास आयुक्त ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं और मांग उठाई गई है कि उन्हें प्रभार मुक्त कर किसी अन्य अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाए।
शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर पहल
सदस्य शेखर ने मोरवाई मंडल में हाई स्कूल की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में उप स्वास्थ्य केंद्र बनाने और प्रखंड मुख्यालय के प्लस टू विद्यालय के जर्जर भवन के जीर्णोद्धार पर भी जोर दिया।
इसके साथ ही स्कूल की भूमि का सीमांकन कराकर चारदीवारी निर्माण करने तथा मंगरा के डोरामी में अधूरे मॉडल स्कूल भवन का निर्माण कार्य पूरा करने की मांग की गई।
अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे
बैठक में शेखर ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अतिरिक्त चालक की बहाली की आवश्यकता बताई। साथ ही बाजार समिति के माध्यम से संचालित दुकानों के दिवंगत दुकानदारों के आश्रितों को कैंप लगाकर दुकान हस्तांतरित करने, स्वर्जित आय से बाजार क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट लगाने, तथा राजस्व कर्मियों और जन सेवकों की कमी को दूर करने जैसे मामलों को भी मजबूती से उठाया।
न्यूज़ देखो: जनता की आवाज को मिला मंच
जिला परिषद की बैठक इस बार सचमुच जनता की समस्याओं और समाधान की दिशा में केंद्रित रही। संतोषी शेखर द्वारा उठाए गए मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से जुड़े हैं, जिनका असर सीधे आम नागरिकों पर पड़ेगा। यह दिखाता है कि स्थानीय प्रतिनिधि यदि सक्रिय रहें तो क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है।
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जनहित के लिए जागरूकता जरूरी
अब समय है कि जनता भी अपने प्रतिनिधियों के साथ जिम्मेदार भागीदारी निभाए। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब समाज भी अपनी भूमिका समझे। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि बदलाव की यह आवाज और मजबूत हो।