झारखंड में संवैधानिक संस्थाओं में लंबे समय से खाली पड़े पदों के कारण आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है। प्रमुख संस्थाओं जैसे लोकायुक्त, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग में महत्वपूर्ण पदों की कमी की वजह से इन संस्थाओं के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
- लोकायुक्त:
लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार से संबंधित 2000 से अधिक मामले लंबित हैं। जस्टिस डीएन उपाध्याय का कार्यकाल जून 2021 में समाप्त हो गया, और तब से यह पद खाली पड़ा है। इसके कारण भ्रष्टाचार के मामलों में कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। - राज्य मानवाधिकार आयोग:
मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए राज्य मानवाधिकार आयोग में पिछले लंबे समय से अध्यक्ष और सदस्य नहीं हैं, जिसके कारण मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में न्याय मिलने में देरी हो रही है। - महिला आयोग:
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले राज्य महिला आयोग में भी अध्यक्ष और सदस्यों की कमी है, जिससे महिलाओं की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। - सूचना आयोग:
सूचना आयोग में भी पद खाली रहने के कारण प्रशासन में पारदर्शिता की कमी और सरकार की जवाबदेही कमजोर हो रही है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति:
सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियां समय पर करने की आवश्यकता पर बल दिया है। बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में राज्य सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है।
यह स्थिति राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गहरा असर डाल रही है, और बाबूलाल मरांडी ने यह स्पष्ट किया कि यदि इन संस्थाओं में समय रहते पदों की नियुक्ति नहीं की जाती है, तो इसका सीधा असर जनता को मिलने वाली न्याय प्रणाली पर पड़ेगा।