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सरस्वती शिशु विद्या मंदिर केतुगा धाम में जनजातीय गौरव दिवस पर भव्य आयोजन और अविभावक सम्मेलन में उमड़ी उत्साह की लहर

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#केतुगाधाम #सिमडेगा : भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, पदयात्रा और अविभावक मिलन समारोह का हर्षोल्लास से आयोजन।
  • सरस्वती शिशु विद्या मंदिर केतुगा धाम में जनजातीय गौरव दिवस का भव्य आयोजन।
  • भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और पुष्पांजलि।
  • अतिथि के रूप में पत्रकार अनुज कुमार साहू सहित कई विशिष्ट जन शामिल।
  • विद्यालय परिवार ने जनजातीय गौरव पदयात्रा निकाल कर संस्कृति का संदेश दिया।
  • छात्रों ने लोकनृत्य, लोकगीत, और जनजातीय वीरों पर आधारित प्रस्तुतियाँ दीं।
  • कार्यक्रम का संचालन बंधनु केरकेट्टा और धन्यवाद ज्ञापन सुकरा केरकेट्टा ने किया।

सरस्वती शिशु विद्या मंदिर केतुगा धाम में जनजातीय गौरव दिवस सह अविभावक सम्मेलन का आयोजन भावनात्मक और गरिमामय माहौल में किया गया। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित यह कार्यक्रम पूरे विद्यालय परिसर में उत्साह और सांस्कृतिक ऊर्जा से भर गया। अतिथियों, शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों ने मिलकर इस ऐतिहासिक दिवस को अविस्मरणीय बनाया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक, शिक्षकों, और प्रबंधन समिति के सदस्यों ने अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया, वहीं विद्यालय की बहनों ने स्वागत गान प्रस्तुत कर वातावरण को स्नेह से भर दिया।

बिरसा मुंडा के योगदान को नमन, सांस्कृतिक गौरव का प्रदर्शन

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि पत्रकार अनुज कुमार साहू, विशिष्ट अतिथियों और विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा भगवान बिरसा मुंडा, ओम् भारत माता और सरस्वती माता की तस्वीर पर दीप प्रज्वलन व पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। विद्यालय परिवार ने बिरसा मुंडा के अदम्य साहस, नेतृत्व क्षमता और स्वतंत्रता संग्राम में उनके अतुलनीय योगदान को श्रद्धा के साथ स्मरण किया। प्रधानाध्यापक सुकरा केरकेट्टा ने बच्चों को उनके संघर्ष और आदिवासी समाज के उत्थान में उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से अवगत कराया।

अतिथियों ने दी प्रेरक शुभकामनाएँ

मुख्य अतिथि अनुज कुमार साहू ने अपने संबोधन में जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन संघर्ष, समर्पण और देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने का उद्देश्य युवा पीढ़ी को आदिवासी महापुरुषों के संघर्षों और बलिदानों से अवगत कराना है। उन्होंने विद्यालय के सभी बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए मेहनत, अनुशासन, गुरुजनों के सम्मान और खेलकूद के महत्व पर बल दिया। अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी सांस्कृतिक धरोहर और आदिवासी इतिहास के संरक्षण पर अपने विचार रखे।

जनजातीय गौरव पदयात्रा बनी आकर्षण का केंद्र

विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुकरा केरकेट्टा और शिक्षक बंधनु केरकेट्टा के नेतृत्व में विद्यालय के आचार्यों, दीदियों, भैया-बहनों ने पारंपरिक वेशभूषा व सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ भव्य जनजातीय गौरव पदयात्रा निकाली। केतुगा धाम मंदिर परिसर से निकलकर छोट केतुगा तक गई इस यात्रा में “धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा अमर रहे”, “भारत माता की जय”, “सिद्धू-कान्हू अमर रहे” जैसे जोशीले नारों ने उत्साह का माहौल बना दिया। यात्रा पुनः विद्यालय प्रांगण लौटकर संपन्न हुई।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में झलकी विरासत और शौर्य

कार्यक्रम में बच्चों ने भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू और फूलो-झानो के जीवन-संघर्ष पर आधारित नाट्य प्रस्तुति, लोकगीत और पारंपरिक झारखंडी लोकनृत्य प्रस्तुत किए। बच्चों के उत्साह, ऊर्जा और सांस्कृतिक जुड़ाव ने सभी उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में विद्यालय की बहनों और भैयाओं ने अपनी कला के माध्यम से जनजातीय इतिहास और संस्कृति की गहराई को सजीव कर दिया।

कार्यक्रम में विशिष्ट जनों की गरिमामयी उपस्थिति

इस अवसर पर केतुंगा धाम मंदिर के मुख्य पुजारी प्रदीप दास गोस्वामी, विद्यालय प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष श्याम शिखर सोनी, प्रांतीय हित रक्षा प्रमुख राजेंद्र बड़ाइक, पूर्व शिक्षक उमेश कुमार साहू, शिक्षक गौरव गोस्वामी, रेणु गोस्वामी, शकुंतला सिंह, अंजली कुमारी, रेखा तिर्की, प्रेमलता केरकेट्टा, निराली बागे, नितेंद्र बसु, कमलेश महतो, अविनाश पंडा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

न्यूज़ देखो: सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण समाज की सामूहिक जिम्मेदारी

जनजातीय गौरव दिवस का यह आयोजन दर्शाता है कि विद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि संस्कृति और इतिहास को सहेजने का संवाहक भी है। बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने, आदिवासी महापुरुषों की विरासत से परिचित कराने का यह प्रयास सामाजिक चेतना को मजबूत करता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ना ही सच्ची श्रद्धांजलि

ऐसे आयोजनों से बच्चों में आत्मगौरव, प्रेरणा और सांस्कृतिक समझ विकसित होती है। यह समय है कि समाज मिलकर आदिवासी इतिहास, परंपरा और मूल्यों के संरक्षण के लिए आगे आए।
अपनी राय कमेंट में लिखें और इस खबर को दूसरों तक जरूर पहुँचाएँ, ताकि जागरूकता और सांस्कृतिक गौरव दोनों मजबूत हों।

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Shivnandan Baraik

बानो, सिमडेगा

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