
#सरहुल #रामसेली #आदिवासीसंस्कृति #गारु_समाचार — लोक संस्कृति की जीवंत झलक
- रामसेली गांव में सरहुल महापर्व का पारंपरिक आयोजन
- बैगा सुरेश सिंह ने रीति-रिवाजों के साथ की पूजा-अर्चना
- पारंपरिक गीतों और नृत्य से गूंज उठा पूरा गांव
- मुखिया संघ जिला अध्यक्ष सुभाष सिंह ने सराहना की
- सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का संदेश
पारंपरिक आस्था और उल्लास का संगम
गारु प्रखंड के मायापुर पंचायत स्थित रामसेली गांव में आदिवासी समुदाय का महापर्व सरहुल पूरे श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गांव में सुबह से ही पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज और उत्सव का माहौल दिखा।
रीति-रिवाजों से संपन्न हुआ पूजा अनुष्ठान
बैगा सुरेश सिंह के नेतृत्व में पारंपरिक विधि-विधान से साल वृक्ष की पूजा की गई। इस पूजा को प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और नवजीवन के स्वागत का प्रतीक माना जाता है। पूजा संपन्न होने के बाद ग्रामीणों ने मांदर की थाप पर लोकगीतों के साथ पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया।
सामाजिक एकता का सजीव उदाहरण
इस मौके पर मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह ने कहा,
“सरहुल जैसे पर्व न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हैं, बल्कि ये सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारे को भी मजबूत करते हैं। ऐसे आयोजन हमारी पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करते हैं।”
उन्होंने आयोजन समिति को सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं भी दीं।
उत्सव की रंगत में रंगा रामसेली
पूरे गांव में सांस्कृतिक एकता और परंपरा का उत्सव देखने को मिला। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर पूजा में शामिल हुईं, वहीं युवाओं ने नृत्य व गायन में उत्साह से भाग लिया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने पर्व की खुशियों को साझा किया।
न्यूज़ देखो : लोक परंपराओं का सम्मान, हमारी जिम्मेदारी
‘न्यूज़ देखो’ ऐसे आयोजनों के माध्यम से यह संदेश देता है कि हमारी पारंपरिक संस्कृति केवल इतिहास नहीं, वर्तमान और भविष्य की प्रेरणा भी है। सरहुल जैसे पर्व हमें प्रकृति, परंपरा और परस्पर प्रेम के महत्व को याद दिलाते हैं। आइए, हम सब मिलकर इस विरासत को संजोए रखें।