Ranchi

सरहुल पर्व पर एफआईआर और रोक के फैसले पर बवाल, बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर साधा निशाना

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#रांची – एफआईआर के बाद सरकार के फैसले पर बाबूलाल मरांडी का कड़ा बयान:

  • सरहुल पर्व से जुड़ी रैली पर दर्ज एफआईआर पर रोक का आदेश
  • बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर ‘नौटंकी’ करने का लगाया आरोप
  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग

क्या है पूरा मामला?

30 मार्च को रांची के सिरम टोली फ्लाईओवर के रैंप को हटाने की मांग को लेकर एक जुलूस निकाला गया, जो बाद में उग्र प्रदर्शन में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिस बल से धक्का-मुक्की की। इस घटना के बाद चुटिया थाना में एफआईआर दर्ज की गई

हालांकि, सरकार ने इस मामले को सरहुल पर्व की भावना से जुड़ा बताते हुए झारखंड के महानिदेशक सह पुलिस महानिरीक्षक को निर्देश दिया कि अभियुक्तों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए। इस फैसले के बाद वरीय पुलिस अधीक्षक, रांची को कार्रवाई रोकने का आदेश दे दिया गया।

बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरा

सरकार के इस कदम पर बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा –

“बढ़िया नौटंकी है। पहले तो सरहुल पर्व मनाने वालों को डराने के लिये उनपर एफ़आईआर करो। फिर सहानुभूति बटोरने के लिये इस एफ़आईआर पर कोई किसी पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देकर विज्ञप्ति जारी कर दो।”

उन्होंने आगे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा –

“अगर आपको सही में सरहुल पर्व की भावना का एहसास है, तो सबसे पहले उन पुलिस वालों को निलंबित कर कठोर कार्रवाई करिये, जिन्होंने ये एफ़आईआर किया है।”

राजनीतिक बयानबाजी तेज, सरकार के फैसले पर सवाल

बाबूलाल मरांडी के इस बयान के बाद झारखंड में सियासी घमासान तेज हो गया है। जहां एक ओर सरकार ने सरहुल पर्व से जुड़े भावनात्मक पहलू को देखते हुए कार्रवाई रोक दी, वहीं विपक्ष इसे ‘डराने और फिर सहानुभूति बटोरने’ की रणनीति बता रहा है

‘न्यूज़ देखो’ – हर खबर पर रहेगी हमारी नजर

सरहुल पर्व पर दर्ज एफआईआर और फिर उस पर रोक के फैसले ने नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। क्या सरकार अपने फैसले पर कायम रहेगी या विपक्ष के दबाव में कोई और कदम उठाएगी? इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ी हर ताजा जानकारी के लिए जुड़े रहें ‘न्यूज़ देखो’ के साथ!

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सरकार का यह कदम कितना सही या गलत है? क्या एफआईआर दर्ज होने के बाद उसे रोकने का फैसला न्यायसंगत है? नीचे कमेंट करें और अपनी राय साझा करें!

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