
#गढ़वा #रक्तदान_प्रेरणा – बिना शोर-शराबे के मानवता की मिसाल, अस्पताल में बुजुर्ग की जान बचाकर बनाया खास दिन औरों के लिए भी यादगार
- गढ़वा के समाजसेवी राहुल साहू ने किया 50वां रक्तदान
- बेटी के जन्मदिन को बनाया जरूरतमंद के लिए जीवनदान का अवसर
- 78 वर्षीय बुजुर्ग महिला को समय पर मिला रक्त, अस्पताल ने जताया आभार
- राहुल साहू ने कहा — यह मेरा सामाजिक और भावनात्मक संकल्प था
- गढ़वा में युवाओं के लिए बने प्रेरणास्त्रोत, लोग कर रहे सराहना
- नियमित रक्तदान और समाजसेवा में वर्षों से हैं सक्रिय
बेटी के जन्मदिन पर दिया जीवनदान का तोहफा
गढ़वा शहर के समाजसेवी राहुल साहू ने अपनी बेटी के जन्मदिन पर एक बुजुर्ग महिला की जान बचाकर इस दिन को यादगार बना दिया।
यह कोई आम समारोह नहीं था — यह था 50वां रक्तदान, जो उन्होंने निःस्वार्थ भावना से एक ज़रूरतमंद की मदद के लिए किया।
गढ़वा कचहरी के पास रहने वाली 78 वर्षीय देवकी देवी गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती थीं और डॉक्टरों ने तत्काल रक्त चढ़ाने की सिफारिश की थी।
परिजनों के लिए रक्त की व्यवस्था कर पाना मुश्किल हो रहा था, तभी राहुल साहू को यह सूचना मिली।
जरूरतमंद की पुकार और मानवीय फर्ज़
बिना देरी के पहुंचे अस्पताल, बचाई जान
राहुल साहू ने जैसे ही इस स्थिति के बारे में सुना, वह तुरंत अस्पताल पहुंचे और रक्तदान किया।
यह उनका 50वां रक्तदान था, और इसे उन्होंने अपनी बेटी के जन्मदिन पर किसी का जीवन बचाकर खास बना दिया।
इस मौके पर उन्होंने कहा:
“मैंने पहले से तय किया था कि अपनी बेटी के जन्मदिन को सिर्फ पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि किसी ज़रूरतमंद की मदद करके मनाऊँगा। आज का दिन मेरे लिए दोहरी खुशी का दिन है — एक पिता के तौर पर और एक इंसानियत के सेवक के रूप में।”
अस्पताल प्रशासन और समाज ने सराहा कदम
सोशल मीडिया पर तारीफ, स्थानीय लोगों में चर्चा
अस्पताल प्रशासन और मरीज के परिजनों ने राहुल साहू के इस कार्य की खुले दिल से सराहना की।
परिजनों ने कहा:
“हमारा कोई सहारा नहीं था, लेकिन राहुल जी हमारे लिए देवदूत बनकर आए। उनका यह कार्य कभी नहीं भूलेंगे।”
सोशल मीडिया पर भी उनकी इस पहल की काफी चर्चा हो रही है और कई युवा उन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मान रहे हैं।
गढ़वा के स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी उन्हें सम्मानित करने की बात कही है।
वर्षों से समाजसेवा का संकल्प
राहुल साहू सिर्फ इस एक दिन ही नहीं, बल्कि वर्षों से स्वेच्छा से रक्तदान कर रहे हैं।
वे कई बार रक्त की कमी के वक्त लोगों की मदद कर चुके हैं और अपने इस अभियान के माध्यम से गढ़वा में दर्जनों युवाओं को भी रक्तदान के लिए प्रेरित किया है।
उनका मानना है कि हर व्यक्ति के पास समाज को लौटाने का कोई ना कोई तरीका होना चाहिए, और रक्तदान से बड़ा कोई उपहार नहीं हो सकता।
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राहुल साहू जैसे लोग न केवल लोगों की जान बचाते हैं बल्कि समाज में संवेदनशीलता और प्रेरणा का संचार भी करते हैं।
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