आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के परपोते मंगल मुंडा का शुक्रवार रात रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में हृदय गति रुकने से निधन हो गया।
- 25 नवंबर को खूंटी जिले में एक सड़क हादसे में गंभीर चोटें आने के बाद उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया था।
- गंभीर हालत में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर अर्जुन मुंडा का बयान
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने घटना पर शोक जताते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा:
“भगवान बिरसा मुंडा के वंशज श्री मंगल मुंडा जी हम सब के बीच में नहीं रहे, यह समस्त झारखंड के लिए दुःख का विषय है। जब उन्हें रिम्स लाया गया था, तब वे रातभर एंबुलेंस में घायल अवस्था में पड़े रहे, लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं था।”
उन्होंने आगे कहा:
- “जब मुझे सूचना मिली, तो मैंने रिम्स के अधिकारियों से संपर्क कर उन्हें भर्ती कराया। लेकिन इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही को उजागर किया है। अगर समय पर उनका इलाज हुआ होता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी।”
- “राज्य सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है, ताकि भविष्य में किसी शहीद परिवार के वंशज के साथ ऐसा न हो।”
मंगल मुंडा का जीवन और योगदान
- 45 वर्षीय मंगल मुंडा बिरसा मुंडा के परिवार से संबंध रखते थे और आदिवासी समाज के प्रमुख व्यक्ति थे।
- उनका निधन न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है।
स्थानीय प्रशासन और सरकार की भूमिका
- प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, और झारखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय ने घटना के बाद रिम्स अधिकारियों के संपर्क में रहते हुए इलाज की निगरानी की।
हालांकि, समय पर चिकित्सा सहायता की कमी पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था पर बहस
यह घटना झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को उजागर करती है।
- समय पर इलाज न मिलने की शिकायत
- आदिवासी समुदाय के साथ हो रही उपेक्षा पर आक्रोश
इस घटना के बाद स्थानीय और राज्य प्रशासन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की मांग जोर पकड़ रही है।