
#पलामू #सड़कसुरक्षाजागरूकता – रोटरी स्कूल में बच्चों के बीच चला अनूठा अभियान, ट्रस्ट की मुहिम को मिल रहा जनसमर्थन
- वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट चला रहा है सड़क सुरक्षा के लिए निरंतर जागरूकता अभियान
- रोटरी स्कूल में बच्चों को दिया गया सुरक्षा नियमों का व्यावहारिक प्रशिक्षण
- संस्था की सचिव शर्मिला वर्मा ने बताया ट्रस्ट का उद्देश्य दुर्घटना मुक्त पलामू बनाना
- ट्रैफिक इंचार्ज शमाल अहमद ने नियम तोड़ने पर दंड की जानकारी दी
- बच्चों को पुरस्कार देकर बढ़ाया उत्साह, राइडिंग गियर को बताया ‘स्कूल यूनिफॉर्म’ जितना जरूरी
- शिक्षकों और अधिकारियों की सक्रिय भूमिका से सफल हुआ कार्यक्रम
स्कूल से शुरू हुई सुरक्षा की पाठशाला: रोटरी स्कूल बना अभियान का केंद्र
पलामू प्रमंडल की प्रमुख सामाजिक संस्था वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट ने रोटरी स्कूल में एक विशेष सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाया। संस्था का उद्देश्य है कि पलामू को सड़क दुर्घटनाओं से पूरी तरह मुक्त किया जा सके।
इस कार्यक्रम में ट्रस्ट की सचिव शर्मिला वर्मा ने कहा कि “अगर एक भी व्यक्ति हमारी बातों को अपनाकर दुर्घटना से बच जाए तो यही हमारी सफलता है।” उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे अपने अभिभावकों को भी सुरक्षा नियमों के पालन के लिए प्रेरित करें।
“हमारा प्रयास है कि हर नागरिक को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करें, ताकि हर घर सुरक्षित रहे।”
— शर्मिला वर्मा, सचिव, वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट
यातायात नियमों की जानकारी और उनके पालन का संदेश
कार्यक्रम में ट्रैफिक इंचार्ज शमाल अहमद ने बच्चों को बताया कि सुरक्षा नियमों का पालन न करने पर दंड का प्रावधान क्यों आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस का उद्देश्य फाइन करना नहीं, बल्कि लोगों को सुरक्षित रखना है।
मयूरेश द्विवेदी ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि हर साल हजारों जिंदगियां सड़क दुर्घटनाओं में खत्म हो जाती हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और युवा शामिल होते हैं। पंकज लोचन ने स्कूल टाइम में सुरक्षा नियमों के पालन को जीवन रक्षा का तरीका बताया।
दिलचस्प सवाल-जवाब से बढ़ाया बच्चों का उत्साह
स्नेहा ओझा ने कार्यक्रम को और रोचक बनाते हुए सड़क सुरक्षा से जुड़े सवाल बच्चों से पूछे और सही जवाब देने वालों को कॉपी-पेन पुरस्कार स्वरूप दिए। इस तरह के संवादात्मक सत्रों से बच्चों की भागीदारी और समझदारी में वृद्धि होती है।
लक्ष्य श्रेष्ठ ने कहा कि राइडिंग गियर को स्कूल यूनिफॉर्म जितना ही जरूरी समझा जाना चाहिए, क्योंकि सिर की सुरक्षा से बड़ी कोई सुरक्षा नहीं होती।
“बिना हेलमेट दोपहिया चलाना उतना ही खतरनाक है जितना बिना किताब स्कूल जाना।”
— लक्ष्य श्रेष्ठ
शिक्षकों और अधिकारियों की सहभागिता से कार्यक्रम हुआ सफल
इस अभियान को सफल बनाने में चंद्र प्रकाश ओझा, शिक्षिका निमिषा प्रिया, श्रेया सिंह, शशांक सर, प्राचार्या रूपाली मैम और स्कूल के डायरेक्टर अनुग्रह नारायण शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट के इस अभियान ने दिखा दिया कि सामाजिक सहभागिता और प्रतिबद्धता के जरिए हम अपने शहर को सुरक्षित बना सकते हैं।
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