बिना मां-बाप के मासूमों का सहारा बने एसडीएम संजय कुमार, “मिशन वात्सल्य” योजना से मिलेगा नया जीवन

#गढ़वा #मिशन_वात्सल्य – दुलदुलवा गांव में चार अनाथ बच्चियों के घर पहुंचे एसडीएम, समाज को सोचने पर मजबूर कर गई इन मासूमों की कहानी

जब प्रशासन बना सहारा : एसडीएम पहुंचे अनाथ बच्चियों के घर

शनिवार को गढ़वा सदर एसडीएम संजय कुमार ने एक मानवीय पहल के तहत दुलदुलवा गांव में चार अनाथ बच्चियों से मुलाकात की। ये सभी बच्चियां अलग-अलग पारिवारिक कारणों से आज पूरी तरह से अनाथ हो चुकी हैं। एसडीएम ने न केवल बच्चियों की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया, बल्कि उनके पालन-पोषण करने वाले रिश्तेदारों से भी बातचीत कर उनकी ज़रूरतें समझीं। इस दौरान उनके साथ जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अशोक नायक भी उपस्थित रहे।

मिशन वात्सल्य : अब हर महीने मिलेगा आर्थिक संबल

एसडीएम संजय कुमार ने जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया कि इन सभी बच्चियों को मिशन वात्सल्य योजना के तहत कवर किया जाए, ताकि उन्हें हर महीने 4000 रुपये की आर्थिक सहायता मिल सके। अशोक नायक ने आश्वस्त किया कि इस योजना के तहत नियमानुसार सभी जरूरी कागजी कार्यवाही को त्वरित रूप से पूरा किया जाएगा।

शराब ने छीना बचपन : सुनैना और सोनपरी की दास्तां

10 साल की सुनैना और 8 साल की सोनपरी, जिनके पिता पिंटू साव की मौत शराब की लत के कारण करीब 6 साल पहले हो गई थी। मां ने बाद में दूसरी शादी कर ली और दादा-चाचा के निधन के बाद दोनों बच्चियां पूरी तरह से बेसहारा हो गईं। अब उनकी देखभाल उनके नाना-नानी किसी तरह कर रहे हैं।

एसडीएम संजय कुमार जब उनके घर पहुंचे, तो उनके लिए फुटवीयर उपहार स्वरूप लाए थे। यह देख बच्चियों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई।

पूजा और गुंजा की पीड़ा : सड़क दुर्घटना ने छीना आखिरी सहारा

इसी गांव की पूजा और गुंजा, जो क्रमशः कक्षा 7वीं और 6वीं में पढ़ती हैं, पहले ही मां को खो चुकी थीं और पिता दूसरी शादी कर कहीं और चले गएनाना की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद अब दोनों बहनें पूरी तरह से अनाथ हो गई हैं।

एसडीएम ने आदेश दिया कि इन दोनों बच्चियों को भी मिशन वात्सल्य योजना से जोड़कर मासिक सहायता दी जाए, ताकि उनकी शिक्षा और जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके।

समाज को सोचने पर मजबूर करती है इन बच्चियों की कहानी

इन मासूम बच्चियों की हालत देख स्थानीय लोग भावुक हो उठे। प्रशासन की पहल ने जहां इन बच्चियों को आश्वासन दिया, वहीं समाज को भी सोचने पर मजबूर किया कि शराब जैसे सामाजिक बुराइयों का कितना गंभीर असर पड़ता है।

“सर, शराब पर रोक लगनी चाहिए ताकि हमारी तरह और बच्चे अनाथ न हों,” — सुनैना और सोनपरी ने कहा।

“बेटा, तुम अनाथ नहीं हो। तुम्हारी देखभाल के लिए बहुत लोग हैं। तुम सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो, किसी भी चीज़ की कमी नहीं होने दी जाएगी।” — संजय कुमार, एसडीएम गढ़वा

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