
#गढ़वा #सहकारिता_संवाद : किसानों की समृद्धि के लिए पैक्स को सशक्त बनाने पर जोर – निजी लाभ पर लगाम लगाने की चेतावनी
- सदर एसडीएम संजय कुमार ने “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम में पैक्स प्रतिनिधियों के साथ की बैठक।
- फर्जी या छद्म किसानों से धान अधिप्राप्ति पर होगी प्राथमिकी दर्ज।
- सभी भुगतान केवल बैंक खाते के माध्यम से करने का निर्देश।
- सहकारी समितियों को किसानों की सेवा के लिए बताया गया, निजी लाभ के लिए नहीं।
- प्रशासन ने पैक्स के सशक्तिकरण के लिए हर संभव सहयोग देने की बात कही।
गढ़वा अनुमंडल में बुधवार को आयोजित साप्ताहिक संवाद कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में सदर एसडीएम संजय कुमार ने अनुमंडल क्षेत्र की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के अध्यक्षों, सचिवों और सहकारिता पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में किसानों की सेवा से जुड़ी समितियों की कार्यप्रणाली, बीज वितरण, धान अधिप्राप्ति और वित्तीय पारदर्शिता पर विस्तृत चर्चा की गई। इस मौके पर एसडीएम ने कहा कि सहकारी समितियों का उद्देश्य किसानों की समृद्धि है, न कि व्यक्तिगत व्यावसायिक लाभ कमाना।
किसानों के हित में पारदर्शिता अनिवार्य
एसडीएम संजय कुमार ने कहा कि सहकारी समितियां किसानों की आर्थिक उन्नति की रीढ़ हैं, इसलिए उनमें किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार या फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी भुगतान और वसूली केवल बैंक खातों के माध्यम से की जाए, नकद लेनदेन से यथासंभव बचा जाए।
एसडीएम संजय कुमार ने कहा: “धान अधिप्राप्ति केवल वास्तविक किसानों से ही की जाए। यदि किसी गैर-किसान या फर्जी व्यक्ति के नाम पर धान खरीदा गया, तो संबंधित सचिव और अध्यक्ष पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।”
उन्होंने निर्देश दिया कि धान बेचने वाले किसानों की सूची, मात्रा और भुगतान स्थिति सार्वजनिक रूप से PACS भवन और पंचायत कार्यालय में प्रदर्शित की जाए। साथ ही सभी समितियों में शिकायत पेटी लगाई जाए ताकि किसानों की समस्याओं का समय पर समाधान हो सके।
पैक्स सशक्तिकरण के लिए प्रशासनिक सहयोग
बैठक के दौरान एसडीएम ने कहा कि प्रशासन प्रत्येक PACS को सशक्त बनाने के लिए हर संभव सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि समिति के प्रत्येक सदस्य को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। पैक्स गोदामों में CCTV कैमरे लगाने की दिशा में भी कदम उठाने को कहा गया ताकि अनियमितताओं पर नियंत्रण रखा जा सके।
एसडीएम संजय कुमार ने कहा: “हमारा लक्ष्य है कि हर समिति किसानों के विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में उदाहरण बने।”
उन्होंने सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए अभियान चलाने की सलाह दी और कहा कि सहकारी समितियां तभी मजबूत होंगी जब उनमें सहभागिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
बैठक में उठी समस्याएं और सुझाव
बैठक में विभिन्न पैक्स प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं रखीं। लमारी कला पैक्स के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने कहा कि सहकारी समितियों को खाद वितरण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मेराल प्रखंड के गेरुआ पंचायत के अध्यक्ष आशीष कुमार चौबे ने बताया कि राइस मील संचालक समय पर धान का उठाव नहीं करते जिससे भंडारण में दिक्कत होती है।
जरही पंचायत के वीरेंद्र यादव और राणडीह पंचायत के सत्येंद्र चौबे ने बताया कि उनके पास समिति का भवन नहीं है। महुलिया पैक्स के सुदेश्वर दुबे ने बताया कि पूर्व अध्यक्ष ने उन्हें अभी तक फर्नीचर और उपकरण हैंडओवर नहीं किए हैं। इस पर एसडीएम ने जिला सहकारिता पदाधिकारी नीलम कुमारी को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया।
गाढ़ाखुर्द पैक्स के अध्यक्ष अनूप कुमार दुबे ने गोदाम निर्माण में भूमि विवाद की शिकायत की जिस पर एसडीएम ने आवेदन देने को कहा। सोनेहारा (डंडई) और भीखी (डंडा) समितियों ने बताया कि उन्हें अंचल से जमीन नहीं मिलने के कारण गोदाम निर्माण नहीं हो पा रहा है, जिस पर संबंधित सीओ को निर्देश दिया गया।
कुछ समितियों ने अतिरिक्त कार्यशील पूंजी, प्रशिक्षण, और अनुज्ञप्ति नवीनीकरण की मांग की। वहीं डंडई पैक्स के अरविंद कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी पैतृक भूमि दान कर 200 मेट्रिक टन का गोदाम बनवाया है और किसानों को जागरूक करने के लिए स्वयं माइक से प्रचार करते हैं। एसडीएम ने उनके इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि वे शीघ्र उनके गोदाम का दौरा करेंगे।
बैठक में जिला सहकारिता पदाधिकारी नीलम कुमारी, सहकारिता प्रसार पदाधिकारी पास्कल डुंगडुंग, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी हाशिम अंसारी, और विभिन्न समितियों के अध्यक्ष-सचिव उपस्थित रहे।



न्यूज़ देखो: पारदर्शिता की नई पहल
गढ़वा में एसडीएम संजय कुमार की यह पहल प्रशासनिक पारदर्शिता और किसान हितों की रक्षा की दिशा में बड़ा कदम है। “कॉफी विद एसडीएम” जैसे संवाद कार्यक्रम से जमीनी समस्याएं सीधे सामने आती हैं और समाधान का मार्ग प्रशस्त होता है। इस बैठक ने स्पष्ट किया कि प्रशासन अब फर्जीवाड़े पर सख्त है और किसान ही प्राथमिक केंद्र हैं।
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किसानों की समृद्धि ही सच्ची आत्मनिर्भरता
अब समय है कि सहकारी समितियां अपने वास्तविक उद्देश्य पर लौटें और किसान कल्याण को सर्वोपरि रखें। प्रशासन का सहयोग तभी सार्थक होगा जब हर सदस्य ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करेगा। भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा से मुक्त प्रणाली ही किसानों को सशक्त बना सकती है।
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