Garhwa

शिक्षा, संवेदना और सुधार की मिसाल बने गढ़वा के एसडीएम संजय कुमार का दुलदुलवा स्कूल विजिट

#गढ़वा – गांव की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने, बच्चों में नैतिक मूल्यों का संचार करने और मिड डे मील की स्थिति की जांच करने पहुंचे एसडीएम संजय कुमार का यह दौरा बना अनुकरणीय उदाहरण

  • एसडीएम ने दुलदुलवा स्कूल का औचक निरीक्षण कर बच्चों को पढ़ाया नैतिक पाठ
  • शराब के दुष्प्रभाव पर हुई निबंध प्रतियोगिता में दो छात्र हुए पुरस्कृत
  • 70% बच्चे अनुपस्थित मिले, शिक्षा की स्थिति पर जताई चिंता
  • एसडीएम ने बच्चों के साथ बैठकर मिड डे मील में भोजन कर गुणवत्ता का किया मूल्यांकन
  • सुप्रिया और सोनपरी की मार्मिक कहानी सुनकर भावुक हुए एसडीएम
  • सभी उपस्थित बच्चों को स्कूल बैग वितरित किए गए, ड्रेस और साइकिल वितरण का आश्वासन भी दिया गया

विद्यालय की धरातल पर दिखी सच्चाई, बच्चों से की संवाद की शुरुआत

गढ़वा सदर एसडीएम संजय कुमार गुरुवार को मध्य विद्यालय दुलदुलवा के औचक निरीक्षण पर पहुंचे। निरीक्षण में उन्होंने विद्यालय की आधारभूत स्थिति, शिक्षक-छात्र उपस्थिति, और ड्रॉप आउट की वास्तविकता की बारीकी से समीक्षा की। उन्होंने कक्षा 7वीं और 8वीं के बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया और उन्हें ईमानदार, सच्चे नागरिक बनने की प्रेरणा दी।

निरीक्षण के दौरान श्रीमती रम्भा चौबे (प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी) समेत सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहीं।

बच्चों में चेतना जगाने वाली निबंध प्रतियोगिता

बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास के लिए “शराब के दुष्प्रभाव” विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। बच्चों ने अपने विचारों में बताया कि शराब कैसे परिवारों को तोड़ देती है, बच्चों का बचपन छीन लेती है और समाज में अपराध को जन्म देती है।

एसडीएम संजय कुमार ने सर्वश्रेष्ठ दो छात्रों को नकद राशि देकर सम्मानित किया और बच्चों को इस विषय में सजग रहने की सीख दी।

आंकड़े बताते हैं: शिक्षा को लेकर गंभीर चिंता की आवश्यकता

2011 की जनगणना के अनुसार, दुलदुलवा गांव की साक्षरता दर 61.80% है, जो कि राज्य औसत से 5% कम है। महिला साक्षरता मात्र 50% है। लंबे समय तक अवैध शराब निर्माण के प्रभाव में रहने वाले इस गांव में शिक्षा का स्तर गिरता गया। अब प्रशासन द्वारा की गई सख्ती से शराब कारोबार बंद हो चुका है, जिससे शिक्षा की स्थिति में सुधार की उम्मीद है।

इस निरीक्षण में यह भी सामने आया कि 350 नामांकित बच्चों में से मात्र 100 उपस्थित थे। एसडीएम ने निर्देश दिया कि शिक्षक बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए गांव के अभिभावकों से संवाद करें

मिड डे मील में बच्चों के साथ भोजन कर जताई संतुष्टि

निरीक्षण के थोड़ी देर बाद जब मिड डे मील का समय हुआ तो एसडीएम संजय कुमार खुद बच्चों के साथ पंक्ति में बैठ गए। उन्होंने भोजन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करते हुए संतोष व्यक्त किया और इस तरह की व्यवस्थाएं बनाए रखने की सलाह दी।

मासूम बहनों की कहानी ने छू लिया सबका दिल

कक्षा 4 में पढ़ने वाली बहनें सुप्रिया कुमारी और सोनपरी की कहानी ने वहां मौजूद सभी लोगों को भावुक कर दिया। उन्होंने एसडीएम को बताया कि उनके पिता पिंटू साव की मौत शराब के कारण हुई, मां ने दूसरी शादी कर ली और अब उनके नाना उनकी परवरिश कर रहे हैं

“सर, शराब पर सख्त रोक लगे ताकि और बच्चे हमारे जैसे अनाथ न हों,” — सुप्रिया की यह बात सुनकर एसडीएम खुद को रोक नहीं सके।

“तुम दोनों अनाथ नहीं हो, तुम्हारी देखभाल की जिम्मेदारी अब हमारी है,” — संजय कुमार ने उन्हें गले लगाते हुए कहा।

बच्चों को पढ़ाई का पूरा सहयोग देने का भरोसा

सभी उपस्थित बच्चों को स्कूल बैग वितरित किए गए। साथ ही ड्रेस की राशि उनके खातों में ससमय ट्रांसफर करने, साइकिल वितरण और छात्रवृत्ति सुनिश्चित कराने की बात कही गई। एसडीएम ने यह भी निर्देश दिया कि छात्रों की मूलभूत जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।

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