#गढ़वा #अस्पताल : अनियमितताओं के खुलासे के बाद एसडीएम ने जांच टीम को सौंपी रिपोर्ट, कठोर कार्रवाई की चेतावनी
- मझिआंव के राधा कृष्ण हॉस्पिटल में एसडीएम ने किया औचक निरीक्षण।
- निरीक्षण में बीएएमएस डिग्रीधारी कविता कुमारी को ऑपरेशन करते हुए पकड़ा गया।
- मरीजों का कोई रजिस्टर या दस्तावेज अस्पताल में नहीं मिला।
- अस्पताल संचालक राजनीकांत वर्मा सवालों का जवाब नहीं दे सके।
- एसडीएम ने कहा, यह कार्य भारतीय न्याय संहिता और मेडिकल रेगुलेशन्स का उल्लंघन है।
- कठोर कार्रवाई में अस्पताल सील करने से लेकर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने तक की चेतावनी।
गढ़वा। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने सोमवार शाम मझिआंव स्थित राधा कृष्ण हॉस्पिटल एवं अल्ट्रासाउंड सेंटर का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सामने आईं विसंगतियों ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल में बीएएमएस की डिग्रीधारी डॉक्टर कविता कुमारी स्वयं बड़े ऑपरेशन और एनेस्थीसिया देते हुए पाई गईं। इस दौरान एक व्यक्ति निरीक्षण दल को देखकर पिछली ओर से भाग निकला, जिससे संदेह और गहरा हो गया।
ऑपरेशन थिएटर में मिला बड़ा खुलासा
निरीक्षण के वक्त एसडीएम को अस्पताल में आधा दर्जन मरीज ऑपरेशन के बाद लेटे हुए मिले, जबकि दर्जनों लोग बाहर इंतजार कर रहे थे। एक मरीज के परिजन ने बताया कि उनकी पत्नी का कुछ ही मिनट पहले बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ है। पूछताछ में कविता कुमारी ने खुद को बीएएमएस बताया और दावा किया कि वे अनुभव के आधार पर ऑपरेशन और एनेस्थीसिया देती हैं।
डॉक्टर के दावे पर उठे सवाल
एसडीएम ने जब संचालक राजनीकांत वर्मा से पूछा कि किस आधार पर बीएएमएस डिग्रीधारी इतने गंभीर ऑपरेशन कर सकती हैं, तो वे कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। वहीं, कविता कुमारी ने मरीजों को दिए जाने वाले पर्चे पर खुद को “स्त्री रोग विशेषज्ञ” और “चिकित्सा पदाधिकारी, झारखंड सरकार” लिख रखा था। पूछताछ में उन्होंने सामुदायिक अस्पताल मझिआंव में प्रतिनियुक्त होने की बात कही, परंतु अपनी मूल नियुक्ति स्पष्ट नहीं कर सकीं।
अस्पताल में दस्तावेजों का अभाव
निरीक्षण में यह भी सामने आया कि अस्पताल में मरीजों से संबंधित कोई रजिस्टर, पूर्व की तिथियों की एंट्री या आवश्यक दस्तावेज मौजूद नहीं थे। इससे अस्पताल की गतिविधियों पर और अधिक संदेह गहराया।
एसडीएम की सख्ती
मौके पर ही एसडीएम ने सिविल सर्जन को फोन कर मामले की जानकारी दी और विस्तृत जांच का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्य न केवल भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय है, बल्कि क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट और इंडियन मेडिकल काउंसिल रेगुलेशन्स का भी उल्लंघन है। संजय कुमार ने आश्वासन दिया कि वे पूरी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजेंगे और दोषियों पर लाइसेंस निरस्तीकरण, अस्पताल सील करने और आपराधिक मुकदमा दर्ज करने तक की सिफारिश करेंगे।
स्थानीय नागरिकों में रोष
निरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए। नागरिकों ने कहा कि यदि बीच शहर में पंजीकृत अस्पताल में इस प्रकार के संदिग्ध कार्य चल सकते हैं, तो यह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और निगरानी पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। एसडीएम ने लोगों को आश्वस्त किया कि अभियान चलाकर अनधिकृत अस्पतालों और अप्रशिक्षित चिकित्सकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।



न्यूज़ देखो: जब जिंदगी से हो रहा खिलवाड़, प्रशासन की सख्ती अनिवार्य
मझिआंव की यह घटना बताती है कि कैसे निजी स्वार्थ में चल रहे अस्पताल लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है। अब जिम्मेदारी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की है कि ऐसे अस्पतालों पर तुरंत शिकंजा कसा जाए।
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अब लापरवाही नहीं, जीवन सुरक्षा सर्वोपरि
यह समय है जब हम सबको अपनी और समाज की सुरक्षा के लिए सजग होना होगा। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाना और प्रशासन से जवाब मांगना हमारी जिम्मेदारी है। आप भी अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि यह संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे।