
#गिरिडीह #रेल_आंदोलन : कुड़मी समाज के आंदोलन को लेकर प्रशासन हाई अलर्ट, यात्रियों से सावधानी बरतने की अपील
- पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर 20 सितंबर को प्रस्तावित आंदोलन से पहले सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम।
- स्टेशन परिसर में बैरिकेडिंग और 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू।
- एसडीएम, एसपी और आरपीएफ अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण कर रणनीति बनाई।
- कुड़मी समाज की ST दर्जा और कुरमाली भाषा की मान्यता की मांग पर आंदोलन।
- 100 से अधिक स्टेशन प्रभावित होने की आशंका, यात्रियों को अलर्ट रहने की सलाह।
गिरिडीह। 20 सितंबर को प्रस्तावित ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन से पहले पारसनाथ रेलवे स्टेशन प्रशासन के लिए सुरक्षा चुनौती बन गया है। संभावित आंदोलन को देखते हुए स्टेशन को पूरी तरह बैरिकेड कर दिया गया है और रेलवे परिसर के 100 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा (धारा 144) लागू कर दी गई है। प्रशासन का कहना है कि किसी भी अप्रिय घटना या गड़बड़ी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
प्रशासन की सख्त तैयारियां और अलर्ट
डुमरी के एसडीएम, गिरिडीह के एसपी और आरपीएफ अधिकारियों ने संयुक्त रूप से पारसनाथ स्टेशन का निरीक्षण किया और विधि-व्यवस्था बनाए रखने की रणनीति बनाई। मौके पर पुलिस, आरपीएफ, फायर ब्रिगेड और अन्य सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च भी किया ताकि माहौल शांत और नियंत्रित रहे। रेलवे परिसर में विशेष सुरक्षा टीम को अलर्ट पर रखा गया है।
यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा से पहले रेलवे द्वारा जारी ताजा सूचनाओं को जरूर जांच लें, ताकि किसी असुविधा से बचा जा सके।
आंदोलन की वजह और संभावित असर
कुड़मी समाज ने इस आंदोलन की घोषणा ST (अनुसूचित जनजाति) दर्जा दिए जाने और कुरमाली भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की मांग को लेकर की है। अनुमान है कि इस आंदोलन से झारखंड, बंगाल और ओडिशा के 100 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों का संचालन प्रभावित हो सकता है।
पुलिस और प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि यदि किसी ने रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया या कानून हाथ में लिया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यात्रियों के लिए सतर्कता जरूरी
इस आंदोलन के चलते कई ट्रेनों के रद्दीकरण, डाइवर्जन या देरी की संभावना है। ऐसे में यात्रियों से अपील की गई है कि वे अपनी यात्रा से पहले स्थिति की पूरी जानकारी लें और प्रशासन की सलाह का पालन करें।



न्यूज़ देखो: आंदोलन और व्यवस्था की परीक्षा
‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन प्रशासन और रेलवे के लिए एक बड़ी परीक्षा है। एक ओर जहां समाज अपनी मांगों को लेकर सड़कों और पटरियों पर उतरने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखनी है। यह संतुलन ही तय करेगा कि जनहित और सुरक्षा दोनों कैसे सुरक्षित रहेंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जिम्मेदारी से करें यात्रा और संवाद
ऐसे समय में यात्रियों और आम नागरिकों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। अफवाहों से दूर रहें, प्रशासन और रेलवे की सलाह का पालन करें। आंदोलन हो या यात्रा, दोनों सुरक्षित तभी रहेंगे जब समाज और व्यवस्था एक-दूसरे के साथ संतुलित कदम उठाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि सभी यात्रियों तक यह जानकारी समय पर पहुंचे।