झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक और छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में भाजपा रांची महानगर ने आज जोरदार प्रदर्शन किया। जयपाल सिंह स्टेडियम से फिरायालाल चौक तक निकाले गए इस विरोध मार्च में पार्टी के वरिष्ठ नेता सी.पी. सिंह ने भाग लिया। उन्होंने छात्रों के साथ एकजुटता जताते हुए सरकार और प्रशासन की कड़ी आलोचना की।
भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी JSSC CGL परीक्षा को रद्द कर इस पूरे प्रकरण की जाँच CBI से कराने की मांग को लेकर विगत दिनों शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे झारखंड के बच्चों पर हेमंत सरकार द्वारा कराए गए लाठीचार्ज के विरोध में आज पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला फूंका गया।
पेपर लीक प्रकरण की पृष्ठभूमि
JSSC द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक होने की खबर सामने आई, जिसने छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा कर दिया। इस मुद्दे ने राज्य भर में छात्रों को सड़क पर उतरने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने परीक्षा को रद्द करने और पारदर्शी जांच की मांग की।
इसी बीच झारखंड हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए परीक्षा परिणाम पर रोक लगा दी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए पुलिस एफआईआर दर्ज की जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
पुलिस और छात्रों के बीच टकराव
पेपर लीक के विरोध में रांची में छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिनों छात्रों ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय का घेराव करने की कोशिश की, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस कार्रवाई में कई छात्र घायल हुए और कुछ को हिरासत में लिया गया।
छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे अलोकतांत्रिक करार दिया और सरकार पर छात्रों की आवाज को दबाने का आरोप लगाया।
भाजपा का प्रदर्शन
छात्रों के समर्थन में भाजपा ने आज रांची में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल भाजपा नेता सी.पी. सिंह ने कहा,
“यह फैसला छात्रों की जीत और हेमंत सरकार की हार है। सरकार का अहंकार छात्रों की मेहनत को मिट्टी में मिलाने पर तुला है।”
उन्होंने सीजीएल पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग की, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और परीक्षा की प्रक्रिया पारदर्शी हो।
अदालत का आदेश
झारखंड हाईकोर्ट ने सीजीएल परीक्षा परिणाम पर रोक लगाते हुए कहा कि बिना निष्पक्ष जांच के परिणाम घोषित करना छात्रों के साथ अन्याय होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार और आयोग से जवाब मांगा है और 22 जनवरी 2025 को मामले की अगली सुनवाई तय की है।
यह मामला झारखंड में शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है। छात्रों का संघर्ष जारी है, और राजनीतिक दल भी उनके समर्थन में खड़े हैं। सरकार पर बढ़ते दबाव और न्यायालय के हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि छात्रों को जल्द न्याय मिलेगा।
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