
#सिमडेगा #अजीविका_संकट : जिले में आजीविका कर्मियों की हड़ताल से स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियाँ बंद, बैंकिंग और सामुदायिक कार्यों पर गहरा असर।
- सिमडेगा जिले में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी लगभग सभी गतिविधियाँ ठप।
- जिला एवं प्रखंड स्तरीय आजीविका कर्मी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर।
- महिला समूहों की बैठकें, बचत संग्रह, आंतरिक ऋण प्रक्रियाएँ पूरी तरह बंद।
- बैंक समन्वय कार्य रुकने से ऋण मंजूरी और किश्त जमा जैसी गतिविधियाँ बाधित।
- CRP, प्रशिक्षण, livelihood कार्यक्रम, पशुपालन–कृषि–लघु उद्यम परियोजनाएँ प्रभावित।
- हड़ताली कर्मियों की प्रमुख मांगें: NMMU HR पॉलिसी लागू करना, आंतरिक प्रोन्नति, वेतन विसंगति समाप्ति, गृह जिला ट्रांसफर, वार्षिक वेतन वृद्धि।
सिमडेगा जिले में स्वयं सहायता समूहों से संबंधित सभी प्रमुख गतिविधियाँ अचानक ठप हो गई हैं। इसका कारण है—जिला एवं प्रखंड स्तर के आजीविका कर्मियों का अपनी लंबित मांगों को लेकर शुरू किया गया अनिश्चितकालीन हड़ताल आंदोलन। इससे न केवल समूह बैठकों पर असर पड़ा है, बल्कि बचत संग्रह, ऋण लेन–देन, बैंकिंग कार्य, प्रशिक्षण और महिलाओं की आजीविका से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम पूरी तरह रुके हुए हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव दिखने लगा है और आगे गंभीर स्थिति बनने की आशंका जताई जा रही है।
हड़ताल से ठप हुए स्वयं सहायता समूहों के दैनिक कार्य
सिमडेगा जिले में कार्यरत स्वयं सहायता समूह ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की आधारभूत संरचना माने जाते हैं। लेकिन हड़ताल के कारण इनमें से कोई भी नियमित गतिविधि संचालित नहीं हो पा रही है।
बंद हुए मूलभूत कार्य
- महिलाओं की दैनिक/साप्ताहिक बचत राशि का संग्रह बंद।
- आंतरिक ऋण लेनदेन रुकने से कई परिवारों को संकट।
- किश्त जमा प्रक्रिया बाधित होने से बैंकिंग व्यवहार प्रभावित।
- सामुदायिक संस्थानों की निगरानी और मूल्यांकन कार्य स्थगित।
इन गतिविधियों के रुकने से महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा और समूहों की आंतरिक व्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
बैंकिंग कार्यों में भारी व्यवधान
हड़ताल की सबसे गंभीर मार बैंक समन्वय गतिविधियों पर पड़ी है।
बैंक–समूह संबंधों में ठहराव
- कई समूहों की ऋण मंजूरी प्रक्रियाएँ बीच में अटकी।
- ऋण नवीनीकरण, दस्तावेजी सत्यापन, वित्तीय रिपोर्टिंग जैसे कार्य रुके।
- बैंकिंग व्यवहार कम होने से महिलाओं की क्रेडिट हिस्ट्री प्रभावित होने की आशंका।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति लंबी चली, तो समूहों को भविष्य में मिलने वाले सामुदायिक निवेश और बैंकिंग सहायता पर भी असर पड़ेगा।
प्रशिक्षण, CRP कार्य और उद्यमिता कार्यक्रम स्थगित
हड़ताल के कारण कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन और आजीविका संवर्धन टीमों की सभी फील्ड गतिविधियाँ बंद हैं।
रुके हुए कार्यक्रम
- तकनीकी प्रशिक्षण
- आजीविका संवर्धन कार्यशालाएँ
- महिला उद्यमियों के लिए समर्थन कार्यक्रम
- कृषि, पशुपालन, लघु उद्यम परियोजनाएँ
इससे महिला उद्यमिता, उत्पादकता, विपणन और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में नुकसान हो रहा है।
आजीविका कर्मियों की प्रमुख मांगें
हड़ताल कर रहे कर्मियों ने कई महत्वपूर्ण मांगों को रेखांकित किया है जिनमें—
- NMMU HR पॉलिसी का त्वरित क्रियान्वयन
- आंतरिक प्रोन्नति प्रणाली की बहाली
- गृह जिला ट्रांसफर का विकल्प
- वेतन विसंगति समाप्त करना
- वार्षिक वेतन वृद्धि लागू करना
हड़ताल में शामिल एक कर्मी ने कहा:
“हम ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण स्तर पर काम करते हैं। लेकिन उचित एचआर नीति और सुरक्षा के बिना सेवा देना कठिन होता जा रहा है।”
कर्मियों का आरोप है कि राज्य सरकार नई HR पॉलिसी को लागू करने में लगातार देरी कर रही है, जिससे नौकरी की असुरक्षा बनी हुई है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधे असर की आशंका
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि हड़ताल लंबी चली, तो इसके परिणाम अत्यंत गंभीर होंगे।
संभावित प्रतिकूल प्रभाव
- महिलाओं की आय में गिरावट
- बैंकिंग प्रक्रियाओं में रुकावट
- सरकारी योजनाओं की डिलीवरी पर असर
- सामुदायिक संस्थानों की स्थिरता कमजोर
- ग्रामीण बाजारों में नकदी प्रवाह कम होना
सिमडेगा की महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह केवल आर्थिक मंच नहीं, बल्कि सामाजिक–आर्थिक उन्नति का माध्यम भी हैं। हड़ताल से यह तंत्र पूरी तरह ठप हो गया है।
सरकार से जल्द समाधान की उम्मीद
आजीविका कर्मियों ने कहा कि वे आंदोलन के लिए मजबूर हैं, लेकिन चाहते हैं कि सरकार बातचीत कर जल्द समाधान निकालते हुए गतिविधियों को फिर से शुरू कराने की दिशा में कदम उठाए।
उनका कहना है कि—
- लंबे समय से लंबित उनकी मांगें पूरी हों।
- HR पॉलिसी लागू हो।
- आजीविका ढांचा मजबूत बनाया जाए।
स्थिति के कारण ग्रामीण महिलाओं, SHG संगठनों और संबंधित विभागों में चिंता की स्थिति बनी हुई है।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर हड़ताल का असर
सिमडेगा जिले में आजीविका कर्मियों की हड़ताल यह दिखाती है कि महिलाओं की आर्थिक प्रगति का तंत्र कितना संवेदनशील है। SHG गतिविधियों के ठप होते ही ग्रामीण बाजार, बैंकिंग लेनदेन और आजीविका कार्यक्रम तुरंत प्रभावित होने लगते हैं। सरकार के लिए यह संकेत है कि मानव संसाधन नीतियों और आजीविका ढांचे को मजबूत करना अब अनिवार्य हो चुका है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बदलाव तभी आएगा जब हम जागरूक रहेंगे
जब महिलाएँ सशक्त होती हैं, तो पूरा गांव मजबूत होता है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में समाज का सहयोग, प्रशासन का समर्थन और कर्मचारियों की उचित सुरक्षा—तीनों की आवश्यकता होती है।
आप भी अपने आसपास की SHG गतिविधियों पर नजर रखें, महिलाओं को सही जानकारी दें और प्रशासन से त्वरित समाधान की अपील करें।
अपनी राय कमेंट में लिखें, इस खबर को दूसरों तक पहुँचाएँ और जागरूकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाएँ।
“`markdown





