
#डुमरी #गुमला : वरिष्ठ अगुवाओं ने आंजन धाम के विकास कार्यों का अवलोकन कर धार्मिक स्थलों के संरक्षण की आवश्यकता बताई
- आंजन धाम में सरना समाज के वरिष्ठ अगुवाओं का दल पहुँचा।
- टीम में जगरनाथ भगत, बीरेंद्र भगत, प्रेम प्रकाश भगत, मनोज उरांव, बंधन उरांव शामिल थे।
- परिसर में चल रहे विकास और सौंदर्यीकरण कार्यों का निरीक्षण किया गया।
- धार्मिक स्थलों के संरक्षण और व्यवस्थित विकास पर बल दिया गया।
- वरिष्ठ अगुवाओं ने सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने की बात कही।
डुमरी, गुमला में सरना समाज के वरिष्ठ अगुवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को आंजन धाम पहुँचा, जहाँ उन्होंने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले इस स्थल का विस्तृत निरीक्षण किया। समाज का मानना है कि सरना धर्मस्थलों का सुव्यवस्थित संरक्षण न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को भी सुरक्षित रखता है। प्रतिनिधियों ने धाम परिसर में हो रहे सौंदर्यीकरण, संरचनात्मक सुधार और भविष्य की विकास संभावनाओं को बारीकी से देखा और इसे समाज के लिए प्रेरक बताया।
निरीक्षण में क्या पाया गया
दल में शामिल वरिष्ठ अगुवा जगरनाथ भगत, बीरेंद्र भगत, समाजसेवी प्रेम प्रकाश भगत, मनोज उरांव और बंधन उरांव ने आंजन धाम के भीतर की व्यवस्थाओं, संरचना, पवित्र स्थलों की सुरक्षा और सौंदर्यीकरण से जुड़े कार्यों का गहन अवलोकन किया। उन्होंने यह भी महसूस किया कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखने हेतु ऐसी पहलें नियमित रूप से की जानी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी मूल पहचान से जुड़ी रहें।
धार्मिक स्थल सिर्फ आस्था नहीं पहचान का केंद्र
निरीक्षण के बाद वरिष्ठ अगुवा जगरनाथ भगत ने कहा कि समाज के सभी धार्मिक स्थलों का सुव्यवस्थित विकास अत्यंत आवश्यक है। उनका कहना था कि धार्मिक स्थल केवल पूजा-अर्चना के स्थान नहीं होते, बल्कि आदिवासी समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक अस्मिता के प्रमुख केंद्र हैं। इनका संरक्षण और विकास हमारे समाज की परंपराओं और पहचान को मजबूती देता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक धार्मिक एवं सामाजिक स्थलों का संरक्षण नहीं होगा, तब तक परंपराओं का प्रभावी रूप से आगे बढ़ना कठिन है।
सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
समाजसेवी प्रेम प्रकाश भगत ने निरीक्षण को सरना समाज की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने कहा कि आंजन धाम का यह अवलोकन न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने की दिशा में भी यह बड़ा कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाकर ही इस तरह की पहलों को व्यापक और प्रभावी बनाया जा सकता है।
न्यूज़ देखो धर्मस्थलों के संरक्षण से मजबूत होती है सांस्कृतिक पहचान
धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का संरक्षण समाज की जड़ों और पहचान को मजबूत करता है। विकास कार्यों में समुदाय की सहभागिता आवश्यक है।
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