
#विश्रामपुर #स्वास्थ्य_व्यवस्था : पूर्व प्रत्याशी सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने पलामू-गढ़वा की जर्जर स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए त्वरित सुधार की मांग की।
- सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने 10 दिसंबर 2025 को विस्तृत बयान जारी किया।
- पलामू और गढ़वा की स्वास्थ्य सेवाओं को बताया बेहद दयनीय।
- सरकारी अस्पतालों में कमीशन सिस्टम और लापरवाही के आरोप।
- डाल्टनगंज सदर अस्पताल की कार्यशैली पर गंभीर सवाल।
- उप स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, दवा, साफ-सफाई का भारी अभाव।
- एलएस (Life Support) एम्बुलेंस की कमी पर गढ़वा प्रशासन को चेताया।
पलामू और गढ़वा जिलों की डगमगाती स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर विश्रामपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने बुधवार को एक सख्त और विस्तृत बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि दोनों जिलों में स्वास्थ्य सेवाएँ लगातार बिगड़ती जा रही हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अत्यंत विकट है। न डॉक्टर मौजूद, न प्राथमिक चिकित्सीय सुविधाएँ—ऐसे में आम लोगों को इलाज के लिए दूरी, पैसा और जोखिम तीनों का बोझ झेलना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि स्वास्थ्य विभाग की यह बदहाली अब आम जनता की जान लेने लगी है, इसलिए तत्काल हस्तक्षेप जरूरी है।
सरकारी अस्पतालों पर गंभीर आरोप
अपने बयान में सुधीर चंद्रवंशी ने आरोप लगाया कि कई सरकारी अस्पतालों में कर्मचारी “स्लीपिंग एजेंट” की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों को जानबूझकर प्राइवेट अस्पतालों की ओर धकेलने का कमीशन सिस्टम वर्षों से चल रहा है, जिससे गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
उन्होंने स्पष्ट कहा—
“यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र है।”
डाल्टनगंज सदर अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल
सुधीर चंद्रवंशी ने डाल्टनगंज सदर अस्पताल की कार्यशैली को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने बताया कि गंभीर घटना या दुर्घटना के समय जब लोग अस्पताल प्रशासन से संपर्क करना चाहते हैं, तो फोन तक नहीं उठाए जाते। यह संवेदनहीनता कई बार मरीजों की जान जोखिम में डाल देती है।
उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी समस्या यह है कि—
- कई कर्मचारी 10–15 वर्षों से एक ही अस्पताल में जमे हुए हैं।
- इससे काम में लापरवाही बढ़ती है और बाहरी अस्पतालों से मिलीभगत भी।
उन्होंने मांग की कि ऐसे कर्मचारियों की पोस्टिंग-ट्रांसफर की तुरंत समीक्षा की जाए और आवश्यक कार्रवाई की जाए।
उप स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली
सुधीर चंद्रवंशी ने ग्रामीण उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को “चिंताजनक” बताते हुए कहा—
- सरकार द्वारा भेजी जाने वाली दवाइयाँ और उपकरण धरातल पर नहीं दिखते।
- कई केंद्रों में डॉक्टर समय पर नहीं आते।
- साफ-सफाई और दवा वितरण की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण जनता को मजबूरी में शहर के निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता है।
गढ़वा में एम्बुलेंस सिस्टम की खामियाँ
सुधीर चंद्रवंशी ने गढ़वा जिले में 108 एम्बुलेंस से जुड़ी खामियों की ओर भी ध्यान दिलाया।
उन्होंने कहा—
- 108 एम्बुलेंस की सेवा केवल डाल्टनगंज तक सीमित है।
- भले ही गंभीर मरीज को रांची ले जाने की आवश्यकता हो, इसके बावजूद सीधे रेफर कर पाना संभव नहीं।
- कारण—ALS (Life Support) एम्बुलेंस की भारी कमी।
उन्होंने यह मुद्दा गढ़वा के सिविल सर्जन डॉ. J F Kennedy के समक्ष रखकर तत्काल सुधार की मांग की है।
जल्द करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस
उन्होंने घोषणा की कि वे बहुत जल्द एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर, अस्पतालों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का विस्तृत विवरण प्रमाण सहित सामने रखेंगे।
उनका कहना है—
“हमारा उद्देश्य सरकार और प्रशासन को जगाना है, ताकि जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।”
उन्होंने जनता से भी आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्याएँ सामने लाएँ, ताकि समाधान की दिशा में ठोस पहल हो सके।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल
विश्रामपुर, गढ़वा और पलामू की स्वास्थ्य सेवाएँ लगातार गिरावट की ओर हैं। जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन चिकित्सा संसाधन और जवाबदेही उसी अनुपात में नहीं बढ़ पाई। सुधीर चंद्रवंशी द्वारा उठाए गए मुद्दे बस व्यक्तिगत आरोप नहीं, बल्कि व्यापक जनसमस्या का संकेत हैं। यदि समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जनता की जागरूकता ही बदलाव की कुंजी
स्वास्थ्य जैसी जरूरी सेवा तब सुधरती है जब जनता आवाज उठाए, प्रशासन को जवाबदेह बनाए और व्यवस्था में पारदर्शिता की मांग करे।
आपका एक प्रश्न, एक शिकायत, एक रिपोर्ट—किसी की जिंदगी बचा सकती है।
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