
#दुमका #अस्पताल_लापरवाही : बेहोश प्रेमलाल राय को हायर सेंटर रेफर करने के बाद भी किसी मदद के बिना अस्पताल से बाहर कर दिया गया
- प्रेमलाल राय को बेहोशी की हालत में PJMCH दुमका में भर्ती किया गया।
- रेफर के बाद भी अस्पताल ने एम्बुलेंस या सहयोग उपलब्ध नहीं कराया।
- 26 नवंबर की सुबह स्टाफ ने परिजन पर लगातार दबाव बनाया।
- परिजन में केवल छोटी बहन और विकलांग बहनोई मौजूद।
- असहाय परिवार मजबूरी में मरीज को घर ले गया।
दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के रामगढ़ गांव के 47 वर्षीय प्रेमलाल राय को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उनके परिजनों ने PJMCH दुमका में भर्ती कराया। सुबह 11:40 बजे उन्हें अस्पताल में एडमिट किया गया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद करीब 3:00 बजे हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। परिजन बेहद कमजोर स्थिति में थे—एक छोटी बहन और उनका विकलांग पति—जो स्वयं किसी तरह की व्यवस्था करने की स्थिति में नहीं थे। इसके बावजूद अस्पताल ने आवश्यक सहयोग देने से इनकार करते हुए 26 नवंबर की सुबह उन्हें दबाव में अस्पताल से बाहर कर दिया। प्रेमलाल की हालत गंभीर बनी हुई है और वह घर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।
दुमका मेडिकल कॉलेज में मानवीय संवेदनाओं का अभाव
दुमका का PJMCH मेडिकल कॉलेज पहले भी संसाधनों और व्यवहार दोनों के स्तर पर सवालों में रहा है। प्रेमलाल राय के मामले में भी यही देखने को मिला। बेहोशी में लाए गए मरीज को भर्ती तो किया गया, लेकिन कुछ घंटों बाद बिना उचित इमरजेंसी व्यवस्था सुनिश्चित किए रेफर कर दिया गया। सामान्य प्रक्रिया के तहत हायर सेंटर के लिए आवश्यक एम्बुलेंस, मेडिकल अटेंडेंट या किसी नर्सिंग स्टाफ की सहयोगी टीम उपलब्ध कराना अस्पताल की जिम्मेदारी मानी जाती है। लेकिन इस मामले में न कोई वाहन दिया गया, न ही किसी कर्मचारी को साथ भेजने की व्यवस्था की गई।
परिजन की असहाय स्थिति के बावजूद मदद नहीं
प्रेमलाल के साथ आई उनकी छोटी बहन स्वयं गरीब और शारीरिक रूप से कमजोर है। उनके साथ उनका विकलांग पति था, जो खुद सहारे की जरूरत में रहता है। अस्पताल प्रबंधन यह जानता था कि इन दोनों के लिए अकेले मरीज को कहीं ले जाना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी किसी भी तरह का समर्थन नहीं दिया गया। अस्पताल के कर्मचारियों ने इस आधार पर दबाव बनाया कि मरीज को तुरंत बाहर ले जाया जाए क्योंकि उसे रेफर कर दिया गया है।
26 नवंबर की सुबह बाहर निकाले जाने का आरोप
इनपुट के अनुसार 26 नवंबर की सुबह अस्पताल स्टाफ ने लगातार दबाव डालकर प्रेमलाल को वार्ड से बाहर कर दिया। चिकित्सा व्यवस्था से वंचित इस मरीज को परिजनों ने मजबूरी में गांव लेकर जाना पड़ा, जहाँ उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है। ग्रामीण भी इस घटना पर नाराजगी जता रहे हैं कि एक सरकारी मेडिकल कॉलेज से इतनी अमानवीयता की उम्मीद नहीं की जाती।
ऐसी घटनाओं का व्यापक असर
अस्पताल स्तर पर इस तरह की घटना का प्रभाव केवल एक परिवार तक सीमित नहीं रहता। इससे पूरे जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति अविश्वास बढ़ता है। दुमका, जहां स्वास्थ्य संसाधन पहले ही सीमित हैं, वहाँ इस तरह की घटनाएं गरीब मरीजों की स्थिति को और भयावह बना देती हैं। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है, हायर सेंटर तक पहुंचना भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन अस्पताल द्वारा किसी प्रकार का विकल्प न देना चिंता का विषय है।
मानवता बनाम प्रक्रिया
यह मामला बताता है कि कई बार प्रक्रिया के नाम पर मानवता को पीछे छोड़ दिया जाता है। रेफर करने का मतलब मरीज को अकेले सड़क पर छोड़ देना नहीं होता, बल्कि सुरक्षित रूप से अगले अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उसी तंत्र की होती है जिसने रेफर किया है। प्रेमलाल राय का मामला प्रशासन और अस्पताल दोनों के लिए चेतावनी है कि संवेदनहीनता किस तरह एक गरीब परिवार को तबाह कर सकती है।
न्यूज़ देखो: दुमका अस्पताल में संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल
यह घटना बताती है कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था में समन्वय, मानवीय दृष्टिकोण और जवाबदेही की गंभीर कमी है। अस्पताल प्रबंधन को यह समीक्षा करनी चाहिए कि क्यों असहाय परिजन को किसी भी रूप में सहयोग नहीं दिया गया। यह भी जरूरी है कि ऐसी घटनाओं पर जिला प्रशासन तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करे ताकि भविष्य में किसी गरीब परिवार को ऐसी क्रूरता न झेलनी पड़े।
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जिम्मेदारी ही असली मानवता
दुमका में सामने आई यह घटना सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि उन सैकड़ों गरीब परिवारों की कहानी है जो हर दिन स्वास्थ्य प्रणाली की कठोरता का सामना करते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि समाज और प्रशासन मिलकर इंसानियत को प्राथमिकता दें और ऐसी व्यवस्थाएं विकसित करें जिसमें कोई भी मरीज असहाय न रहे। आपकी जागरूकता ही बदलाव ला सकती है—अपनी आवाज उठाएं, अपने आसपास होने वाली ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया दें और जिम्मेदार संस्थाओं को जवाबदेह बनाएं।
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