
#रांची #झारखंड : दिशोम गुरु शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में निधन, गंगाराम अस्पताल में ली अंतिम सांस
- शिबू सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री का दिल्ली में निधन।
- 81 वर्षीय नेता पिछले एक महीने से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर और गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।
- झारखंड आंदोलन के प्रणेता, जिन्होंने अलग राज्य की मांग को धार दी।
- सात बार लोकसभा सांसद और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।
- उनके निधन से आदिवासी समाज और झारखंड की राजनीति को भारी क्षति हुई।
झारखंड के दिग्गज नेता और झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन, जिन्हें प्यार से दिशोम गुरु कहा जाता था, का निधन सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन से झारखंड की राजनीति में गहरा शून्य पैदा हो गया है। अलग राज्य की लड़ाई लड़ने वाले इस योद्धा ने अपने जीवन को जन अधिकार और आदिवासी सम्मान की लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया।
बीमारी से जूझते हुए अंततः थम गई सांसें
शिबू सोरेन 81 साल के थे और पिछले डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे। परिवार के अनुसार, उन्हें स्ट्रोक आने के बाद दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा, लेकिन हालत बिगड़ती चली गई। सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
झारखंड आंदोलन की धुरी बने गुरुजी
झारखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई में शिबू सोरेन का नाम हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहा। साहूकारों और महाजनों के शोषण के खिलाफ उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित किया। 70 के दशक में जब झारखंड आंदोलन की गूंज उठी, तब शिबू सोरेन ने उसे दिशा और नेतृत्व दिया। वे सिर्फ नेता नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता के प्रतीक बन गए।
JMM की स्थापना और संघर्ष का सफर
1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ, जिसका उद्देश्य था अलग राज्य की मांग को मजबूत करना और आदिवासी समाज को न्याय दिलाना। शुरुआत में पार्टी की कमान शिबू सोरेन के साथ-साथ अ.के. राय और बिनोद बिहारी महतो के पास थी, लेकिन बाद में उन्होंने नेतृत्व की बागडोर पूरी तरह संभाली।
शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा। 1980 में पहली बार लोकसभा पहुंचे और इसके बाद कई बार सांसद और विधायक बने।
मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के रूप में पहचान
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे—2005, 2008 और 2009 में। हालांकि, उनके कार्यकाल लंबे नहीं रहे, लेकिन इन अवधियों में उन्होंने झारखंड की विकास योजनाओं और सामाजिक न्याय पर जोर दिया।
इसके अलावा, वे मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे। झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक मानी जाती है।
विवादों में भी घिरा रहा जीवन
उनका जीवन पूरी तरह संघर्षों से जुड़ा रहा, लेकिन यह विवादों से अछूता नहीं रहा। 1994 में सचिव शशिनाथ झा की हत्या के मामले में उनका नाम आया और उन्हें अदालत का सामना करना पड़ा। निचली अदालत से सजा मिलने के बाद वे जेल भी गए, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
पारिवारिक जीवन और राजनीतिक विरासत
शिबू सोरेन अपने पीछे पत्नी रूपी सोरेन और तीन बच्चों—हेमंत, बसंत और अंजलि सोरेन—को छोड़ गए हैं। बड़े बेटे दुर्गा सोरेन का निधन पहले ही हो चुका है। वर्तमान में उनके पुत्र हेमंत सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।
झारखंड सरकार ने घोषित किया तीन दिवसीय राजकीय शोक
झारखंड सरकार ने उनके निधन पर 04 अगस्त 2025 से 06 अगस्त 2025 तक तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है।
मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग द्वारा जारी आदेश (पत्र संख्या 4/00 (1410)-02/2012833/) के अनुसार,
- इस अवधि में सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
- किसी भी प्रकार के राजकीय समारोह का आयोजन नहीं किया जाएगा।
- 04 और 05 अगस्त को राज्य सरकार के सभी कार्यालय बंद रहेंगे।
यह आदेश सरकार के संयुक्त सचिव अखलेश कुमार सिन्हा द्वारा सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस महानिदेशक, प्रमंडलीय आयुक्तों और उपायुक्तों को जारी किया गया।
प्रतिलिपि राज्यपाल, मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय, विकास आयुक्त और अन्य शीर्ष अधिकारियों को भी प्रेषित की गई है।
न्यूज़ देखो: झारखंड की राजनीति का युगांत
शिबू सोरेन का निधन सिर्फ एक नेता की मौत नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीति के एक पूरे युग का अंत है। उन्होंने जिस आंदोलन को जन्म दिया और उसे मुकाम तक पहुंचाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगा। अब चुनौती यह है कि उनकी विचारधारा को जमीन पर कैसे जिंदा रखा जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब समय है उनके विचारों को आगे बढ़ाने का
दिशोम गुरु ने जो लड़ाई लड़ी, वह न्याय और अधिकार की लड़ाई थी। हमें उनकी सोच को आगे ले जाने के लिए एकजुट होना होगा। अपने विचार कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों, परिवार और समाज में साझा करें ताकि हम सब मिलकर उनके सपनों का झारखंड बना सकें।