#डुमरी #शिवगुरु_परिचर्चा : रांची से पधारे अवधेश तिवारी ने बताया — गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव, शिव को बताया जगतगुरु
- डुमरी शिव मंदिर परिसर में आयोजित हुआ शिवगुरु परिचर्चा का कार्यक्रम
- रांची से पधारे अवधेश तिवारी ने गुरु-शिष्य परंपरा और शिव को बताया आदिगुरु
- तीन सूत्र — दया, चर्चा और नमन को बताया शिवगुरु को अपनाने का मार्ग
- अनेक महिलाओं ने भी शिवगुरु पर चर्चा कर साझा की अपनी अनुभूतियाँ
- कार्यक्रम में आध्यात्मिक उर्जा से भरा रहा वातावरण, स्थानीय जनों की रही भारी उपस्थिति
गुरु-शिष्य परंपरा पर हुई चर्चा, शिव को बताया परम गुरु
गुमला जिले के डुमरी शिव मंदिर परिसर में गुरुवार को एक दिवसीय शिवगुरु परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें रांची से पधारे आध्यात्मिक विचारक अवधेश कुमार तिवारी ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने मानव जीवन में गुरु की अनिवार्यता और गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अवधेश तिवारी ने कहा: “गुरु ही वह शक्ति हैं जो अपने शिष्य को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश तक पहुंचाते हैं। चाहे लौकिक शिक्षक हों या आध्यात्मिक गुरु — दोनों का स्थान जीवन में सर्वोपरि होता है।”
शिव को बताया आदिगुरु, अपनाने के लिए बताए तीन सूत्र
अवधेश तिवारी ने बताया कि भगवान शिव को जगतगुरु, महागुरु और आदिगुरु कहा जाता है। उन्होंने शिव को गुरु रूप में अपनाने के लिए तीन सूत्र बताए —
- दया मांगना – मन ही मन गुरु शिव से दया की प्रार्थना करना।
- चर्चा करना – अपने कार्य करते हुए शिवगुरु के बारे में चर्चा करना और दूसरों को जागरूक करना।
- नमन करना – श्वांस लेते समय “नमः”, छोड़ते समय “शिवाय” का भाव रखते हुए मन से नमन करना।
वक्ता ने कहा कि जैसे-जैसे हमारे विचार स्थिर होते हैं, परमात्मा से संबंध गहराते हैं। गुरु अपने शिष्य में परमात्मा के प्रति आकर्षण जगाने का कार्य करते हैं, जिससे आत्मिक विकास संभव होता है।
महिलाओं ने भी साझा की अपनी अनुभूतियाँ
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया और बारी-बारी से शिवगुरु परिचर्चा में अपने विचार और अनुभव साझा किए। उपस्थित महिलाओं में उदय गुप्ता, जया देवी, प्रिया गुप्ता, बेबी देवी, किरण देवी, मीना देवी, करुणा देवी, विद्या देवी, प्रमिला देवी, मौसमी देवी, ललिता देवी, मंजू देवी, शकुंतला देवी, सुनैना देवी, शकुन देवी सहित अन्य लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।
स्थानीय श्रद्धालुओं में जागृत हुआ आध्यात्मिक उत्साह
शिवगुरु परिचर्चा के आयोजन से स्थानीय श्रद्धालुओं में आध्यात्मिक जागरूकता और ऊर्जा का संचार हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने आयोजकों की सराहना करते हुए इस प्रकार के आयोजनों को नियमित रूप से करने की मांग की।
न्यूज़ देखो: शिवगुरु साधना से आत्मिक चेतना का संचार
न्यूज़ देखो मानता है कि समाज में आध्यात्मिक चेतना जागृत करने वाले ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है जो मनुष्य को बाह्य संघर्षों से हटाकर आत्म-उन्नति की ओर प्रेरित करते हैं। डुमरी जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में जब शिवगुरु जैसी अवधारणाएं जनमानस में स्थान बनाती हैं, तो यह परंपरा, आस्था और चेतना का संगम होता है।
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धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों से जुड़ना केवल परंपरा नहीं, आत्मिक प्रगति की राह भी है। आप इस खबर को अपने मित्रों और परिजनों के साथ जरूर साझा करें और कमेंट कर अपने अनुभव भी बताएं।