
#श्रावणीमेला2025 #बासुकीनाथधाम #दुमकाखबर – श्रद्धालुओं के लिए आवासन से लेकर जलार्पण तक की व्यवस्था पर मंथन, उपायुक्त ने दिए निर्देश
- 11 जुलाई से शुरू होगा श्रावणी मेला महोत्सव 2025
- उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक
- सभी विभागों को सौंपे गए समन्वित कार्यदायित्व
- श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और साफ-सफाई पर विशेष जोर
- शिवगंगा, रूटलाइन, पार्किंग और जलार्पण काउंटर की व्यवस्थाएं होंगी सुदृढ़
दुमका समाहरणालय में हुई समीक्षा बैठक
श्रावणी मेला 2025 के सफल आयोजन को लेकर सोमवार को समाहरणालय सभागार, दुमका में उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे की अध्यक्षता में समीक्षात्मक बैठक का आयोजन हुआ। आगामी 11 जुलाई से शुरू हो रहे महोत्सव के मद्देनज़र सभी प्रमुख विभागों के अधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया।
जलार्पण में बाधा न आए, यही है प्रशासन की प्राथमिकता
बैठक में उपायुक्त ने स्पष्ट रूप से कहा कि:
“श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक जलार्पण कराना हमारी पहली प्राथमिकता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बासुकीनाथ धाम पहुंचते हैं, उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने पथ निर्माण, विद्युत, पीएचईडी, भवन निर्माण, सूचना एवं जनसंपर्क जैसे विभागों से अब तक की तैयारियों की रिपोर्ट ली।
अतिक्रमण हटेगा, सड़क पर दुकानें नहीं लगेंगी
बासुकीनाथ नगर पंचायत क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का निर्देश देते हुए उपायुक्त ने कहा कि सभी आने-जाने वाले मार्ग अतिक्रमण मुक्त हों। किसी भी हाल में सड़कों पर दुकानें नहीं लगेंगी, जिससे श्रद्धालुओं के आवागमन में बाधा न हो।
स्वास्थ्य और सुविधा व्यवस्था भी होगी चाकचौबंद
श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, शौचालय, स्वास्थ्य केंद्र तथा बेहतर आवासन की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया। साथ ही कांवरिया रूटलाइन पर मजबूत बैरिकेडिंग और सीसीटीवी निगरानी की बात भी कही गई।
शिवगंगा की सफाई और साइनेज का निर्देश
शिवगंगा तालाब की सफाई, वाहन पार्किंग, और सड़कों के किनारे साइनेज लगाने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों को दी गई। जलार्पण काउंटरों को भी इस बार बेहतर रूप से व्यवस्थित किया जाएगा।
‘न्यूज़ देखो’ की अपील : आस्था और प्रशासनिक सहयोग से बनेगा सफल आयोजन
श्रावणी मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक और प्रशासनिक समन्वय का प्रतीक है।
‘न्यूज़ देखो’ अपील करता है कि श्रद्धालु प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें और हर स्तर पर सहयोग करें।
जब आस्था और व्यवस्था का मेल होता है, तभी धार्मिक आयोजन सफल होते हैं।