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गुमला जिला में आस्था और भक्ति का प्रतीक बना श्री गणिनाथ गोविंद पूजन उत्सव

#गुमला #धार्मिकउत्सव : पारंपरिक विधि-विधान और भव्य सहभागिता के साथ मद्धेशिया परिवार ने सम्पन्न किया पूजन महोत्सव

गुमला जिला में शनिवार को श्री गणिनाथ गोविंद पूजन उत्सव आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत संगम बनकर सामने आया। मद्धेशिया परिवार के नेतृत्व में संपन्न इस आयोजन में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उमड़ी। पारंपरिक विधि-विधान से पूजन, भजन-कीर्तन, बच्चों के नृत्य और सामूहिक भंडारे ने इस धार्मिक अवसर को सामाजिक मेलजोल का पर्व बना दिया।

पारंपरिक विधि-विधान के बीच पूजन सम्पन्न

सुबह से ही श्रद्धालु कार्यक्रम स्थल पर जुटने लगे। वेद-मंत्रोच्चार और पंडितों द्वारा किए गए विशेष हवन के बीच श्री गणिनाथ गोविंद की पूजा-अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने सामूहिक आरती में भाग लेकर सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। पूजा स्थल को फूलों और रंगीन झालरों से सजाया गया, जिसने पूरे वातावरण को दिव्यता से भर दिया।

भक्ति से गूंज उठा वातावरण

पूजन के बाद भजन-कीर्तन और संकीर्तन का आयोजन हुआ, जिसने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया। महिलाएं और बच्चे भी इस आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहे। श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों पर झूमकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने भगवान गणिनाथ गोविंद की महिमा पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया, जिसे देखकर उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध हो गया। साथ ही झंडोत्तोलन के आयोजन ने उत्सव में ऊर्जा और उत्साह का संचार किया।

मद्धेशिया परिवार का योगदान

इस अवसर पर मद्धेशिया परिवार के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन केवल पूजा तक सीमित नहीं होते, बल्कि समाज में भाईचारा और एकता का संदेश भी देते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से आने वाली पीढ़ी भी संस्कृति से जुड़ती है और अपनी जड़ों को पहचानती है।

प्रसाद वितरण और भंडारा

पूजन उत्सव के समापन पर सामूहिक भंडारा और प्रसाद वितरण का आयोजन हुआ, जिसमें हर वर्ग के श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर सभी ने इसे मेलजोल और आपसी भाईचारे का अवसर बताया।

न्यूज़ देखो: धार्मिकता और सामाजिकता का अनूठा संगम

गुमला का यह श्री गणिनाथ गोविंद पूजन उत्सव धार्मिक आस्था से आगे बढ़कर सामाजिक एकता और पारिवारिक जुड़ाव का संदेश भी देता है। इस आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि परंपरा और आधुनिकता का संगम केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज को जोड़ने की शक्ति भी रखता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति से जुड़ें, समाज को मजबूत करें

धार्मिक उत्सव हमें न केवल आस्था से जोड़ते हैं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और एकता की भावना भी जगाते हैं। आइए, ऐसे आयोजनों में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि परंपरा और संस्कृति की जड़ें और मजबूत हों।

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