#हुसैनाबाद #दुर्गापूजा : बच्चों की अद्भुत प्रस्तुतियों और रावण दहन ने बांधा समा
- आरपीएस विद्यालय जपला में हुआ ‘श्री शक्ति आवाहनम्’ का आयोजन।
- एसडीपीओ एस. मोहम्मद याक़ूब और पूर्व जिप उपाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह रहे मुख्य अतिथि।
- बच्चों ने प्रस्तुत किए नवदुर्गा के स्वरूप और लोकनृत्य।
- प्रधानाचार्या प्यूबली रॉय और शिक्षकों ने दी आयोजन को सफलता।
- रावण दहन कर दिया गया असत्य पर सत्य की जीत का संदेश।
हुसैनाबाद (पलामू)। आरपीएस विद्यालय, जपला में शनिवार शाम दुर्गा पूजा के अवसर पर ‘श्री शक्ति आवाहनम्’ का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ हुसैनाबाद के एसडीपीओ एस. मोहम्मद याक़ूब और जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। हल्की बारिश ने वातावरण को और पावन बना दिया, वहीं अभिभावकों और बच्चों की भारी उपस्थिति ने उत्सव को खास बना दिया।
बच्चों की अद्भुत प्रस्तुतियाँ
विद्यालय के बच्चों ने माँ दुर्गा के नवदुर्गा स्वरूपों की आकर्षक झलक प्रस्तुत की। आराध्या द्विवेदी माँ दुर्गा, कृतिका शर्मा माँ काली, आकृति शर्मा ललिता, गरिमा भैरवी, प्रार्थना पाठक ब्रह्मचारिणी, एरम चंद्रघण्टा, मिताक्षरा कुशमांडा, साक्षी पांडे कात्यायनी और आशिका स्कंदमाता के रूप में मंच पर उतरीं। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विविधता में एकता का संदेश
धार्मिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ बच्चों ने मंगली, उद्गो अम्बे, धुनुची, पंखिड़ा और गरवा जैसे लोकनृत्य प्रस्तुत कर भारत की विविधता में एकता का संदेश दिया। संगीत और नृत्य की ताल पर तालियाँ गूंज उठीं और दर्शकों ने बच्चों के उत्साह का भरपूर आनंद लिया।
आयोजन की सफलता और रावण दहन
विद्यालय की प्रधानाचार्या प्यूबली रॉय और शिक्षकों के सहयोग से यह आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के अंत में विनोद कुमार सिंह ने रावण दहन कर सत्य की असत्य पर विजय का संदेश दिया और सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएँ दीं।
रंगारंग समापन
विद्यालय निदेशक संजय कुमार सिंह (लड्डू सिंह) ने अपने संबोधन में नवरात्रि के महत्व पर प्रकाश डाला। अंत में अभिभावकों और बच्चों ने मिलकर डांडिया नृत्य किया, जिसने पूरे आयोजन को और भी रंगारंग और अविस्मरणीय बना दिया।
न्यूज़ देखो: शिक्षा और संस्कृति का संगम
आरपीएस विद्यालय का यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। बच्चों को अपनी परंपरा से जोड़ना और अभिभावकों को इसमें शामिल करना समाज में सामूहिकता और उत्सवधर्मिता को मजबूत करता है।
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शिक्षा से संस्कार, संस्कृति से एकता
यह आयोजन याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है। संस्कृति और परंपरा से जुड़े ऐसे उत्सव बच्चों को जीवनभर के लिए मूल्य और प्रेरणा देते हैं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि ऐसे आयोजनों की चमक और दूर तक पहुँचे।