
#सिमडेगा #छठ_महापर्व : लोक आस्था के महापर्व छठ पर डीसी कंचन सिंह ने पारंपरिक तरीके से व्रत और कद्दू भात तैयार कर जिलेवासियों को दी शुभकामनाएं
- सिमडेगा डीसी कंचन सिंह ने छठ महापर्व के प्रथम दिन ‘नहाए-खाए’ का व्रत किया।
- उन्होंने स्वयं पारंपरिक तरीके से गेहूं धोकर सुखाया और कद्दू भात तैयार किया।
- डीसी ने जिलेवासियों के स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए महापर्व की शुभकामनाएं दी।
- इस अवसर पर उन्होंने छठ के भक्ति गीत भी गाए।
- डीसी पिछले 14 वर्षों से नियमित रूप से छठ व्रत निभा रहे हैं और अपनी आस्था का उदाहरण पेश कर रहे हैं।
लोक आस्था और धार्मिक परंपराओं का अनुपम उदाहरण पेश करते हुए सिमडेगा के डीसी कंचन सिंह ने इस वर्ष भी छठ महापर्व का शुभारंभ ‘नहाए-खाए’ से किया। उन्होंने स्वयं गेहूं धोकर सुखाया और कद्दू भात बनाने में जुटे, जिससे छठव्रतियों के लिए महाप्रसाद का निर्माण हुआ। उनका यह प्रयास जिले में लोगों के बीच आस्था और अनुशासन का संदेश फैलाने वाला रहा।
पारंपरिक तरीके से व्रत की तैयारी
डीसी कंचन सिंह ने पारंपरिक विधियों का पालन करते हुए नहाए-खाए का प्रसाद तैयार किया। उन्होंने बताया कि छठ व्रत उनके लिए पिछले 14 वर्षों से नियमित रूप से पालन का प्रतीक है और इस अवसर पर वे जिलेवासियों के लिए स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं।
कंचन सिंह ने कहा: “छठ महापर्व हमारे लोक संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। मैं हर वर्ष इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि के अनुसार निभाता हूँ। इस अवसर पर समस्त जिलेवासियों की सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ।”
इस दौरान डीसी ने छठ व्रतियों के साथ भक्ति गीत गाकर वातावरण को भक्तिमय और उल्लासपूर्ण बनाया। उनका यह कृत्य जिले में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना, जिससे लोक आस्था और धार्मिक परंपराओं की महत्ता उजागर हुई।
जिले में छठ पर्व की तैयारी और प्रशासन की भागीदारी
सिमडेगा जिला प्रशासन ने छठ घाटों की साफ-सफाई, सुरक्षा और प्रकाश व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं। डीसी के व्रत करने से जिले में छठ महापर्व की शुरुआत और भी जीवंत और प्रेरणादायक बन गई। प्रशासन और आमजन के सहयोग से चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का आयोजन शांति और भक्ति के साथ हो रहा है।

न्यूज़ देखो: प्रशासनिक नेतृत्व से लोक आस्था का संदेश
डीसी कंचन सिंह का यह कदम दिखाता है कि अधिकारी केवल प्रशासनिक कर्तव्य निभाने वाले नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक पहलुओं में भी नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं। यह पहल छठ महापर्व की आस्था और परंपरा को मजबूती देती है और लोगों में सेवा और भक्ति की भावना जगाती है।
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प्रेरक संदेश और सामाजिक भागीदारी
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