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सिमडेगा में टी.एल.एम. मेला 2025 का भव्य आयोजन, शिक्षा में नवाचार को मिली नई दिशा

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#सिमडेगा #शैक्षणिक_मेले : डायट परिसर में आयोजित टी.एल.एम. मेला-2025 में सैकड़ों शिक्षकों ने नवाचारी मॉडल प्रस्तुत।
  • उपायुक्त कंचन सिंह ने मेले का उद्घाटन किया।
  • 400 से अधिक शिक्षकों ने टीएलएम मॉडल की प्रदर्शनी लगाई।
  • गूगल मीट के माध्यम से 200+ प्रस्ताव प्रतियोगिता में शामिल हुए।
  • टीएलएम को नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप बताया गया।
  • स्टॉलों पर गणित, व्याकरण और विज्ञान के अभिनव मॉडल आकर्षण का केंद्र

सिमडेगा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) परिसर में बुधवार को टीचिंग-लर्निंग मटेरियल (T.L.M.) मेला-2025 का भव्य आयोजन किया गया। शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले इस मेले का उद्घाटन उपायुक्त कंचन सिंह ने जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथलेश केरकेट्टा, जिला शिक्षा अधीक्षक दीपक राम एवं विधायक प्रतिनिधि शकील अहमद के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधीक्षक ने पौधा भेंट कर उपायुक्त का स्वागत किया।
मेले में जिले भर के शिक्षकों और विद्यार्थियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी दिखी, जहाँ शिक्षण-सामग्री के विविध मॉडलों ने शिक्षा को व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत किया।

दृश्य शिक्षा की प्रभावशीलता पर उपायुक्त का जोर

उपायुक्त कंचन सिंह ने कहा कि बच्चों के लिए दृश्य माध्यम सबसे प्रभावी शिक्षण पद्धति है। कई बार किताबों में पढ़ी अवधारणाएँ बच्चों को समझ नहीं आतीं, लेकिन मॉडल या प्रदर्शनी के माध्यम से वही अवधारणाएँ बेहद सरल हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि—

“शिक्षा बच्चों के लिए खेल-खेल में स्वाभाविक रूप से मिलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए, और TLM इसी सोच को वास्तविक रूप देता है।”

उपायुक्त ने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों की रुचि बढ़ाने के लिए वातावरणीय वस्तुएँ—जैसे बोतलें, कार्डबोर्ड, बीज, लकड़ी के टुकड़े आदि—उत्तम, कम लागत वाले शिक्षण साधन बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों को भी ऐसे आयोजनों में शामिल किया जाना चाहिए ताकि सरकारी और निजी शिक्षकों के बीच सीखने का आदान-प्रदान मजबूत हो सके।
साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकारी विद्यालयों की योग्यता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है, लेकिन समाज का विश्वास पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता अवश्य है।

शिक्षक समाज का सबसे बड़ा शिल्पकार

अपने संबोधन में उपायुक्त ने शिक्षक-छात्र संबंधों की संवेदनशीलता पर बात करते हुए प्रसिद्ध उक्ति ‘गुरु कुम्हार, शिष्य कुंभ’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि—

“जैसे कुम्हार घड़े को बाहर से थपथपाकर और अंदर से सहारा देकर सुंदर आकार देता है, वैसे ही शिक्षक को अनुशासन और स्नेह का संतुलन बनाते हुए बच्चों का व्यक्तित्व निर्माण करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि आज के दौर में शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थियों के बीच दूरी बढ़ी है, लेकिन TLM जैसे आयोजन इस संवाद को मजबूत करते हैं और बच्चों को अधिक अनुभव आधारित शिक्षा प्रदान करते हैं।

शिक्षकों की भागीदारी और नवाचार

जिला शिक्षा अधीक्षक दीपक राम ने बताया कि सरकार द्वारा निर्देशित इस मेले का उद्देश्य बच्चों में जिज्ञासा, रचनात्मकता और प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना है।
उन्होंने जानकारी दी कि—

  • 200 से अधिक शिक्षकों ने गूगल मीट के माध्यम से अपने प्रस्ताव प्रस्तुत किए
  • जबकि 400 शिक्षकों ने मॉडल प्रदर्शित किए

विभिन्न प्रखंडों से आए प्रतिभागी शिक्षकों द्वारा बनाए गए मॉडल पूरे मेले का मुख्य आकर्षण बने।

नई शिक्षा नीति-2020 की दिशा में मजबूत कदम

जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथलेश केरकेट्टा ने बताया कि TLM मेला नई शिक्षा नीति-2020 को जमीन पर उतारने का प्रभावी प्रयास है। यह नीति शिक्षा को सिर्फ अकादमिक नहीं, बल्कि अनुभवात्मक, कौशल-आधारित और व्यवहारिक बनाए जाने पर जोर देती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों की स्मरण शक्ति, विश्लेषण क्षमता और समस्या समाधान कौशल TLM के प्रयोग से उल्लेखनीय रूप से बढ़ते हैं।
उन्होंने शिक्षकों से इसे नियमित शिक्षण में उपयोग करने की अपील की।

विधायक प्रतिनिधि की प्रशंसा

विधायक प्रतिनिधि शकील अहमद ने विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया और शिक्षकों द्वारा प्रदर्शित मॉडलों को उत्कृष्ट बताते हुए कहा कि—
गणित के कठिन सूत्र, व्याकरण के नियम, और विज्ञान की जटिल अवधारणाएँ टीएलएम के माध्यम से बच्चों के लिए अत्यंत सरल और रोचक हो जाती हैं।

उपायुक्त ने सभी स्टॉलों का किया अवलोकन

अंत में उपायुक्त ने सभी स्टॉलों का अवलोकन किया और शिक्षकों द्वारा बनाए गए मॉडलों की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन जिले के बच्चों की शिक्षा को एक नई ऊँचाई प्रदान करेंगे।

न्यूज़ देखो: शिक्षा में नवाचार का जीवंत उदाहरण

सिमडेगा में आयोजित TLM मेला इस बात का सशक्त प्रमाण है कि शिक्षा को रोचक, सुलभ और व्यावहारिक बनाने के लिए सिर्फ नीतियाँ ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर की पहलें भी उतनी ही आवश्यक हैं। इस मेले ने दिखाया कि शिक्षक जब चाहें तो सीमित संसाधनों में भी बड़े नवाचार कर सकते हैं।
यह आयोजन शिक्षा व्यवस्था के प्रति सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है और विद्यालयों को नए प्रयोगों के लिए प्रेरित करता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा बदलाव की चिंगारी—आप भी बनें परिवर्तन के सहभागी

टीएलएम जैसे आयोजन बताता है कि छोटे-छोटे प्रयोग बच्चों का भविष्य बदल सकते हैं। जब शिक्षक, अभिभावक और समाज साथ आएँ, तो सीखना सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि जीवन का हिस्सा बन जाता है।
आइए, हम सभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की इस मुहिम में शामिल हों। अपने विचार कमेंट में लिखें—क्या आपके इलाके में ऐसे नवाचार होते हैं?
खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ और शिक्षा में सकारात्मक बदलाव की इस पहल को आगे बढ़ाएँ।

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Satyam Kumar Keshri

सिमडेगा नगर क्षेत्र

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