#Simdega #Shraddhanjali : झारखंड ने दो महान हस्तियों की विदाई — राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में अपूरणीय क्षति
- झारखंड आंदोलन के नायक शिबू सोरेन के निधन से राज्य में गहरा शोक।
- पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी चेतना के प्रतीक के रूप में याद किए गए।
- वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के निधन से मीडिया जगत हुआ स्तब्ध।
- कोलेबिरा पत्रकार संघ ने दोनों विभूतियों को दी भावभीनी श्रद्धांजलि।
- संघ ने स्मृतियों को जीवित रखने का संकल्प लिया।
दिशाेम गुरु शिबू सोरेन: झारखंड आंदोलन का स्तंभ
झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी चेतना के प्रतीक दिशाेम गुरु शिबू सोरेन का निधन पूरे राज्य के लिए एक गहरी क्षति है। कोलेबिरा पत्रकार संघ ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा पर लगी गहरी चोट है।
रथीनद्र गुप्ता ने कहा:
“दिशाेम गुरु केवल एक राजनेता नहीं थे, वे झारखंड के निर्माता थे। उन्होंने राज्य के निर्माण का सपना देखा और उसे साकार किया। उनके जाने से राज्य की राजनीतिक दिशा और सामाजिक चेतना को अपूरणीय क्षति हुई है।”
उनके संघर्ष, नेतृत्व और सामाजिक न्याय के लिए किए गए प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। झारखंड की पहचान और अस्मिता को बचाने के लिए उनके प्रयासों ने ही अलग राज्य के सपने को साकार किया।
वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह का जाना पत्रकारिता जगत के लिए सदमा
दूसरी ओर, झारखंड की पत्रकारिता जगत को भी गहरा आघात पहुंचा है। वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के आकस्मिक निधन की खबर से मीडिया समुदाय स्तब्ध है। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता को नया आयाम दिया और कठिन परिस्थितियों में भी निष्पक्ष और जनहितकारी पत्रकारिता को जीवित रखा।
पंचम प्रसाद ने भावुक होकर कहा:
“हरिनारायण सिंह ने झारखंड में हिंदी पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। उन्होंने संघर्षों से भरे समय में पत्रकारिता को जीवंत बनाए रखा। उनका जाना पत्रकारिता की दुनिया के लिए बहुत बड़ी क्षति है।”
उनकी लेखनी और विचार सदैव पत्रकारिता जगत को प्रेरित करते रहेंगे।
कोलेबिरा पत्रकार संघ का संकल्प
इस श्रद्धांजलि सभा में पंचम प्रसाद, बीरेंद्र तिवारी, विवेक कुमार, पुरुषोत्तम प्रसाद, अमित कुमार और सुमंत कुमार समेत कई पत्रकार उपस्थित रहे। सभी ने दोनों महान विभूतियों के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके आदर्शों को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। संघ ने दोनों के स्मृतियों को सदैव जीवित रखने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: दो स्तंभों के निधन से झारखंड हुआ शोकाकुल
दिसोम गुरु शिबू सोरेन ने झारखंड को पहचान दिलाई, वहीं हरिनारायण सिंह ने पत्रकारिता को मजबूती दी। इन दोनों स्तंभों का एक साथ जाना राज्य के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य के लिए अपूर्वनीय क्षति है। आज जब हम इन विभूतियों को याद करते हैं, तो यह भी सोचने की ज़रूरत है कि उनके अधूरे सपनों को पूरा करने में हम सबकी क्या भूमिका होगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग रहें, जुड़े रहें
सजग समाज ही सशक्त समाज होता है। इन विभूतियों से प्रेरणा लेकर हमें एक बेहतर झारखंड के निर्माण में योगदान देना चाहिए। अपनी राय हमें कमेंट में बताएं, इस लेख को शेयर करें और इसे उन लोगों तक पहुंचाएं जो झारखंड की अस्मिता और पत्रकारिता की मजबूती के लिए चिंतित हैं।