#सिमडेगा #पुलिसअभियान : जिलेभर में छापामारी कर हत्या बलात्कार लूट और हथियारबंदी जैसे मामलों में फरार अपराधियों को दबोचा गया
- सिमडेगा पुलिस ने ऑपरेशन रेड हंट के तहत विशेष छापामारी की।
- 10 स्थायी वारंटियों को पकड़ा गया जो 12 से 38 वर्षों से फरार थे।
- आरोपियों पर हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़, लूट, रंगदारी, हथियार अधिनियम के गंभीर आरोप थे।
- कई अभियुक्तों ने नई पहचान बनाकर और फर्जी आधार कार्ड से जीवन छुपाकर गुजारा।
- गिरफ्तारी सिमडेगा, गुमला और रांची जिलों से विशेष कार्रवाई के दौरान हुई।
सिमडेगा पुलिस ने ऑपरेशन रेड हंट के तहत बड़ी सफलता हासिल की है। लंबे समय से फरार चल रहे दस अपराधियों को पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से गिरफ्तार किया। इनमें से कुछ पर हत्या और बलात्कार जैसे संगीन मामले दर्ज हैं, जबकि कई अभियुक्त रंगदारी, लूट और हथियारबंदी के मामलों में फरार थे। दशकों तक गिरफ्तारी से बचते रहे इन आरोपियों की गिरफ्तारी से पुलिस की साख मजबूत हुई है और जनता में न्याय की उम्मीद जगी है।
सिमडेगा थाना की गिरफ्तारी
अमित कुमार बाड़ा को छेड़छाड़ के मामले में टीटांगर थाना कांड संख्या 35/11, धारा 354/34 भादवि में 14 वर्षों से फरारी के बाद तेलीटोली, रेंगारीह से पकड़ा गया।
लिबनुस सोरेंग 21 वर्षों से फरार था, जिस पर ट्रक दुर्घटना कर थाना वाहन को धक्का मारने का मामला दर्ज था। उसे गोतरा डीपाटोली से गिरफ्तार किया गया।
असारू सिंह पर वाहन दुर्घटना का आरोप था और वह 12 वर्षों से फरार था। उसे बानो के बांकी गांव से पकड़ा गया।
बानो थाना क्षेत्र की गिरफ्तारी
जुनुल कन्डूलना उर्फ अनिल कन्डूलना 32 वर्षों से हत्या के मामले में फरार था। उसे नवागांव पहानटोली से गिरफ्तार किया गया।
मुकुंद महतो उर्फ संजय महतो रंगदारी और लूट के कई मामलों में 17 वर्षों से फरार था। उसने नाम बदलकर रांची के जामटोली में नई जिंदगी शुरू कर दी थी और फर्जी आधार कार्ड भी बनवा लिया था। पुलिस ने उसे वहीं से पकड़ा।
जलडेगा थाना की गिरफ्तारी
कन्दरू सिंह पर हत्या का मामला दर्ज था और वह 13 वर्षों से फरार था। उसे जलडेगा जामटोली से पकड़ा गया।
मो. नौसाद खां कॉलेज परिसर में पिस्टल दिखाकर मारपीट करने के मामले में 21 वर्षों से फरार था। उसे रांची के डोरंडा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।
टीटांगर और महाबुआंग की कार्रवाई
भीमसेन्ट लोहरा उर्फ टेको लोहरा 23 वर्षों से गृह भेदन के मामले में फरार था। उसे अपने ही गांव आसनबेड़ा से पकड़ा गया।
पावल गुड़िया बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था लेकिन हाई कोर्ट अपील पर बेल के बाद फरार हो गया था। वह 29 वर्षों से फरारी के बाद रांची के तुपुदाना क्षेत्र से राजमिस्त्री बनकर पकड़ा गया।
ओड़गा ओपी का सबसे पुराना मामला
जोहन मुण्डा उर्फ जोधा टोपनो 38 वर्षों से फरार था। उस पर 1987 में लकड़ी लूट का मामला दर्ज था। पुलिस ने उसे सेरेंगढ़ा गांव से गिरफ्तार कर लिया।
दशकों की फरारी का अंत
इन दसों अभियुक्तों ने कानून से बचने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए। किसी ने गांव में छुपकर जीवन बिताया तो किसी ने शहर जाकर पहचान बदल ली। कई ने नकली दस्तावेज तैयार करवा लिए। लेकिन पुलिस ने गुप्त सूचना और तकनीकी सहयोग से उनकी पहचान उजागर की और उन्हें दबोच लिया।
गंभीर मामलों में गिरफ्तारी
गिरफ्तार वारंटियों में हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, छेड़छाड़, लूट, रंगदारी, दुर्घटना, गृह भेदन और आर्म्स एक्ट जैसे मामलों के अपराधी शामिल हैं। इनकी गिरफ्तारी से लंबित मामलों में न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
न्यूज़ देखो: कानून से बचना अब नामुमकिन
सिमडेगा पुलिस का यह अभियान साबित करता है कि चाहे अपराधी कितने भी वर्षों तक फरार क्यों न हों, कानून की पकड़ से बचना संभव नहीं। ऑपरेशन रेड हंट ने जनता को विश्वास दिलाया है कि अपराध के खिलाफ कार्रवाई हर हाल में होगी और न्याय देर से सही पर मिलेगा जरूर।
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जागरूकता से अपराध पर अंकुश
इस कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि अपराधी कितना भी चतुर क्यों न हो, कानून की नजर से बचना असंभव है। अब समय है कि हम सब समाज को अपराधमुक्त बनाने में सहयोग करें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और लोगों को जागरूक बनाएं ताकि अपराध के खिलाफ मजबूत जनमत तैयार हो सके।