
#सिमडेगा #स्वास्थ्य_व्यवस्था : झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव ने ट्रामा सेंटर की सुविधाओं, संसाधनों और मानव बल की स्थिति का किया निरीक्षण
- झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर हुआ ट्रामा सेंटर निरीक्षण।
- जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव मरियम हेमरोम ने की विस्तृत जांच।
- ट्रामा सेंटर का अलग भवन नहीं, क्रिटिकल केयर यूनिट में हो रहा संचालन।
- केवल एक सर्जन डॉक्टर और चार नर्सिंग स्टाफ की है तैनाती।
- सीमित संसाधनों के कारण गंभीर मरीजों के इलाज में आ रही चुनौतियां।
- निरीक्षण के बाद हाई कोर्ट को भेजी जाएगी विस्तृत रिपोर्ट।
झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में गुरुवार को सिमडेगा सदर अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर का निरीक्षण किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव मरियम हेमरोम ने स्वयं अस्पताल पहुंचकर ट्रामा सेंटर में उपलब्ध चिकित्सीय सुविधाओं, संसाधनों और मानव बल की स्थिति की बारीकी से समीक्षा की। निरीक्षण का उद्देश्य ट्रामा सेंटर की वास्तविक स्थिति से न्यायालय को अवगत कराना और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद कमियों को सामने लाना रहा।
ट्रामा सेंटर की वर्तमान व्यवस्था का जायजा
निरीक्षण के दौरान यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि सदर अस्पताल में संचालित ट्रामा सेंटर का कोई अलग भवन उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में ट्रामा सेंटर को अस्पताल के क्रिटिकल केयर यूनिट के भीतर संचालित किया जा रहा है। सीमित स्थान और संसाधनों के बीच ट्रामा सेवाएं दी जा रही हैं, जिससे गंभीर रूप से घायल और आपातकालीन मरीजों के इलाज में कई तरह की व्यावहारिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
संसाधनों की कमी बनी बड़ी चुनौती
निरीक्षण के क्रम में अस्पताल प्रबंधन द्वारा बताया गया कि ट्रामा सेंटर में फिलहाल एक सर्जन डॉक्टर और चार नर्सिंग स्टाफ की प्रतिनियुक्ति की गई है। हालांकि, सड़क दुर्घटनाओं और अन्य आपातकालीन मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह मानव बल अपर्याप्त माना जा रहा है। विशेषज्ञों की कमी और सीमित स्टाफ के कारण कई बार मरीजों को समुचित इलाज देने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
आपातकालीन मरीजों के इलाज पर असर
सीमित संसाधनों और स्टाफ की कमी का सीधा असर गंभीर मरीजों की चिकित्सा व्यवस्था पर पड़ रहा है। ट्रामा सेंटर में आधुनिक उपकरणों, पर्याप्त बेड और विशेष चिकित्सकों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। निरीक्षण के दौरान इन सभी पहलुओं को गंभीरता से नोट किया गया।
हाई कोर्ट को भेजी जाएगी विस्तृत रिपोर्ट
निरीक्षण के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव मरियम हेमरोम ने स्पष्ट किया:
मरियम हेमरोम ने कहा: “ट्रामा सेंटर की वास्तविक स्थिति, उपलब्ध सुविधाओं और कमियों को लेकर एक विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे झारखंड हाई कोर्ट को भेजा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में सभी तथ्यों को वस्तुनिष्ठ रूप से शामिल किया जाएगा, ताकि उच्च न्यायालय इस विषय में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सके।
निरीक्षण में कई अधिकारी और स्वास्थ्यकर्मी रहे मौजूद
निरीक्षण के दौरान असिस्टेंट एलएडीसीएस सुकोमल, अस्पताल उपाधीक्षक डॉ आनंद खाखा, डॉ सुचांद, अस्पताल प्रबंधक अलका कुल्लू, पीएलवी एस सरफराज, पुनिता, दीपक सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी और स्टाफ मौजूद थे। सभी ने ट्रामा सेंटर से जुड़ी जानकारी साझा की और अपनी-अपनी जिम्मेदारियों के बारे में अवगत कराया।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी सच्चाई आई सामने
यह खबर सिमडेगा की आपातकालीन स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से यह स्पष्ट है कि ट्रामा सेंटर जैसी महत्वपूर्ण सुविधा पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है। निरीक्षण और रिपोर्ट से उम्मीद है कि संसाधनों और मानव बल की कमी दूर करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। अब निगाहें इस बात पर हैं कि रिपोर्ट के बाद क्या ठोस सुधारात्मक कार्रवाई होती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बेहतर ट्रामा सुविधा, हर जीवन की सुरक्षा का सवाल
सड़क दुर्घटनाओं और आपात स्थितियों में ट्रामा सेंटर जीवन और मृत्यु के बीच की कड़ी होता है। ऐसे में मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था केवल जरूरत नहीं, बल्कि अधिकार है। सिमडेगा के नागरिकों के लिए यह मुद्दा बेहद अहम है।





