
#लातेहार #वन्यजीव_तस्करी : संयुक्त टीम ने गुप्त सूचना पर बड़े ऑपरेशन में पैंगोलिन शल्क, हथियार और वन्यजीव अवशेष जब्त किए।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की गुप्त सूचना पर संयुक्त अभियान चलाया गया।
- पीटीआर और मेदिनीनगर वन प्रभाग की टीम ने छह तस्करों को पकड़ा।
- लगभग 25 किग्रा पैंगोलिन शल्क, तीन देशी बंदूकें और वन्यजीव अवशेष बरामद।
- कार्रवाई अजय टोप्पो और उमेश कुमार दुबे के नेतृत्व में दो दिनों तक चली।
- गिरफ्तार तस्करों पर वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला दर्ज कर जेल भेजा गया।
- कई अन्य आरोपितों की तलाश जारी।
शनिवार को पलामू टाइगर रिजर्व में वन्यजीव तस्करी पर एक बड़ी कार्रवाई की गई, जब गुप्त सूचना के आधार पर मेदिनीनगर वन प्रभाग और पीटीआर की संयुक्त टीम ने सघन छापेमारी की। दो दिनों तक चले इस अभियान में कुल छह वन्यजीव तस्कर पकड़े गए। उनके पास से भारी मात्रा में पैंगोलिन शल्क, हथियार, अवशेष और वाहन बरामद किए गए। यह कार्रवाई वन विभाग की दृढ़ इच्छा शक्ति और संगठित प्रयासों का मजबूत उदाहरण पेश करती है और यह संकेत देती है कि क्षेत्र में सक्रिय वन्यजीव माफिया पर अब शिकंजा कसने लगा है।
गुप्त सूचना के आधार पर बनाई गई विशेष टीम
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से मिली महत्वपूर्ण सूचना के बाद वन विभाग हरकत में आया। उपनिदेशक प्रजेश जेना के निर्देश पर एक विशेष टीम का गठन किया गया। टीम का नेतृत्व छिपादोहर पश्चिमी के क्षेत्र पदाधिकारी अजय टोप्पो और गारू पूर्वी के क्षेत्र पदाधिकारी उमेश कुमार दुबे ने किया।
दो दिनों—21 और 22 नवंबर—तक टीम ने लगातार छापेमारी करते हुए पीटीआर के कई गांवों में अभियान चलाया। इस दौरान टीम ने संभावित ठिकानों की पहचान कर तस्करों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
तस्करों के पास से बरामद भारी मात्रा में प्रतिबंधित सामग्री
अभियान के दौरान टीम ने भारी मात्रा में वन्यजीव अवैध सामग्री जब्त की, जिसमें शामिल है:
- लगभग 25 किग्रा पैंगोलिन शल्क
- 1.8 किग्रा अतिरिक्त शल्क
- तीन देशी बंदूकें
- एक मोटरसाइकिल (सीजी 15 डीवी 2411)
- एक गुलेल
- मोर का पैर
- हड्डी का चूर्ण
यह बरामदगी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि तस्कर लंबे समय से संगठित नेटवर्क के तहत काम कर रहे थे और स्थानीय इलाकों को अपना सुरक्षित अड्डा बना चुके थे।
गिरफ्तार आरोपित भेजे गए जेल, कई अन्य फरार
गिरफ्तार तस्करों के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है। वहीं टीम उन अन्य आरोपितों की तलाश में भी जुटी है, जिनका नाम छापेमारी के दौरान सामने आया है। विभाग का कहना है कि जल्द ही पूरे नेटवर्क को खत्म करने के उद्देश्य से दूसरी कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।
अभियान में बड़ी संख्या में वनरक्षियों की भागीदारी
इस संयुक्त अभियान में कई अधिकारी और कर्मचारी सक्रिय रूप से शामिल रहे। इनमें प्रभारी वनपाल संतोष कुमार, वनपाल रजनीश कुमार सिंह, देवपाल भगत, गुलशन सुरीन, नंदलाल, अशोका, लास्टीका टोप्पो, मंजू कुमारी, ओमप्रकाश राम, रंजय कुमार, विपीन कुमार, रोहित कुमार, अमरित कुमार, पंकज पाठक, ओमप्रकाश पाल, संजीव कुमार, विपीन कुमार सहित बड़ी संख्या में वनपाल और वनरक्षी शामिल थे।
टीमवर्क और निरंतर समन्वय के कारण ही यह अभियान सफल हो सका।
वन विभाग की कार्रवाई पर अधिकारियों का रुख
उपनिदेशक प्रजेश जेना ने कहा: “यह कार्रवाई वन्यजीव संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अवैध तस्करी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।”
वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से बड़ी उपलब्धि
इस ऑपरेशन ने न केवल तस्करी रैकेट के बड़े हिस्से को ध्वस्त किया, बल्कि क्षेत्र में वन्यजीव सुरक्षा को भी मजबूत किया है। पैंगोलिन जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा के लिए ऐसी कार्रवाइयाँ बेहद महत्वपूर्ण हैं।
न्यूज़ देखो: तस्करी पर शिकंजा, संरक्षण की दिशा में मजबूत कदम
यह कार्रवाई दिखाती है कि पलामू टाइगर रिजर्व में वन विभाग अब तस्करों को खुली छूट देने के मूड में नहीं है। गुप्त सूचना पर तेजी से प्रतिक्रिया देना और बड़े पैमाने पर बरामदगी स्थानीय प्रशासन की सक्रियता का संकेत है। वन्यजीव संरक्षण के मामले में यह अभियान एक मिसाल है, और इससे भविष्य में ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
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वन्यजीवों की सुरक्षा में हम सभी की जिम्मेदारी
वन्यजीव केवल जंगलों की संपत्ति नहीं, बल्कि हमारे पारिस्थितिक संतुलन की नींव हैं। तस्करी रोकने में प्रशासन के प्रयास तभी प्रभावी होंगे जब आम नागरिक भी सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी संबंधित विभाग को दें। आइए मिलकर यह संकल्प लें कि वन्यजीवों की रक्षा में हम अपनी भूमिका निभाएंगे और समाज में जागरूकता फैलाएंगे।
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