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SKMCH अधीक्षक डॉक्टर कुमारी विभा निलंबित, PMCH उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह पदमुक्त

#मुजफ्फरपुर #स्वास्थ्यविभागकार्रवाई – दुष्कर्म पीड़िता की मौत के मामले में संवेदनहीनता पर बड़ी प्रशासनिक सख्ती

इलाज में लापरवाही और संवेदनहीनता के खिलाफ सख्त कदम

1 जून 2025 को मुजफ्फरपुर में एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद, मामला जब तूल पकड़ने लगा तो स्वास्थ्य विभाग ने जाँच के बाद दो वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है।

प्रथम दृष्टया जांच में पाया गया कि श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (SKMCH), मुजफ्फरपुर की अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा द्वारा रेफरल पॉलिसी का पालन नहीं किया गया और इलाज में घोर संवेदनहीनता बरती गई।

अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा निलंबित, मुख्यालय स्थानांतरित

डॉ. कुमारी विभा को बिहार सरकारी सेवक नियमावली-2005 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। उन्हें स्वास्थ्य विभाग, बिहार, पटना में मुख्यालयित किया गया है, और निलंबन अवधि में उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि आगे आरोप पत्र गठित कर विस्तृत अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

PMCH प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह भी हटाए गए

इसी मामले में पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (PMCH) के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह को भी पद से मुक्त कर दिया गया है। विभाग की जांच में यह सामने आया कि उन्होंने भी अपने प्रशासनिक कर्तव्यों का उचित पालन नहीं किया, जो प्रशासनिक विफलता की श्रेणी में आता है।

मामला संवेदनशील, जांच जारी

दुष्कर्म पीड़िता की मौत का मामला गंभीर और अत्यंत संवेदनशील माना जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे पूरी गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है, और आगे भी जाँच के आधार पर अन्य दोषियों पर कार्रवाई संभव है।

न्यूज़ देखो: जवाबदेही और संवेदनशीलता ही सुशासन की कसौटी

नाबालिग पीड़िता की मौत ने पूरे तंत्र को झकझोर दिया है। न्यूज़ देखो मानता है कि किसी भी प्रशासन की जवाबदेही और संवेदनशीलता सबसे अहम होती है। SKMCH और PMCH जैसे बड़े संस्थानों में ऐसी लापरवाही निंदनीय है। प्रशासन की यह कार्रवाई एक संदेश है कि संवेदनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब लापरवाही नहीं, संवेदनशीलता और सेवा भावना चाहिए

सरकारी अस्पतालों को मरीजों के लिए सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक बनना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गंभीर मामलों में भी जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह साबित हो रहे हैं। अब वक्त है कि प्रशासनिक जिम्मेदारी और चिकित्सा सेवा में संवेदनशीलता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

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