#पलामू #सामाजिक_अंकेक्षण : विश्रामपुर प्रखंड के सिगसिगी पंचायत में मनरेगा योजनाओं की जन सुनवाई में कई गड़बड़ियां सामने आईं, जिम्मेदारों पर अर्थदंड लगाया गया।
- सिगसिगी पंचायत में हुआ मनरेगा योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण।
- जन सुनवाई के दौरान कई अनियमितताएं और गड़बड़ियां उजागर हुईं।
- पूर्व पंचायत समिति सदस्य विनोद चौधरी ने बिना प्रचार-प्रसार के आयोजन पर आपत्ति जताई।
- कार्यस्थल पर सूचना बोर्ड, बिल वाउचर और जेई सर्टिफिकेट नहीं पाए गए।
- ज्यूरी सदस्यों ने दोषियों पर अर्थदंड लगाकर निष्पादन किया।
- मौके पर पदाधिकारी राजीव रंजन, मुखिया किरण देवी, और ऑडिट टीम के सदस्य उपस्थित रहे।
पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड अंतर्गत सिगसिगी पंचायत में शुक्रवार को आयोजित सामाजिक अंकेक्षण और जन सुनवाई कार्यक्रम में कई गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ। यह अंकेक्षण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 के कार्यों के लिए किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत सोशल ऑडिट टीम द्वारा ज्यूरी सदस्यों को शपथ दिलाने से हुई। लेकिन आयोजन को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों में नाराज़गी भी देखने को मिली। पूर्व पंचायत समिति सदस्य विनोद चौधरी और वर्तमान सदस्य फूलो देवी ने कहा कि पंचायत क्षेत्र में जन सुनवाई का कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया, जिसके चलते आम जनता की उपस्थिति बहुत कम रही।
विनोद चौधरी ने कहा: “यदि पहले से सूचना दी जाती, तो अधिक लोग भाग लेते और पारदर्शिता सुनिश्चित होती।”
मनरेगा कार्यों में मिली कई खामियां
जन सुनवाई के दौरान मनरेगा योजनाओं से जुड़े कई मामलों में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। योजनाओं में मस्टर रोल नहीं पाया गया, कार्यस्थलों पर सूचना बोर्ड नहीं थे, और बिल-वाउचर का अभाव देखा गया। कई परियोजनाओं में मापी पुस्तिका में विवरण दर्ज नहीं था या माप से अधिक भुगतान किया गया था।
इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ी शिकायतें भी सामने आईं, जिनमें जांच के बाद ज्यूरी सदस्यों ने अर्थदंड लगाकर मामलों का निष्पादन किया।
अधिकारियों की उपस्थिति और भूमिका
पंचायत सचिवालय में हुए इस कार्यक्रम में प्रखंड कार्यालय से पर्यवेक्षक राजीव रंजन मौजूद रहे। ज्यूरी सदस्यों में फूलो देवी, हरिनाथ चंद्रवंशी, राजेश राम, सुनीता देवी और रामचंद्र चंद्रवंशी शामिल थे।
कार्यक्रम में बीआरपी उपेंद्र कुमार, वीआरपी प्रमोद कुमार, दिलीप कुमार, सुमन कुजूर, कलिंदा कुमारी, मुखिया किरण देवी, समाजसेवी विनय चंद्रवंशी, पिंटू कुमार चौधरी, और प्रज्ञा केंद्र संचालक संतोष प्रसाद समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
समाजसेवी विनय चंद्रवंशी ने कहा: “सामाजिक अंकेक्षण पंचायत की पारदर्शिता की पहचान है, ऐसे कार्यक्रम नियमित रूप से और खुली भागीदारी के साथ होने चाहिए।”
पारदर्शिता के प्रति जनता की अपेक्षा
जन सुनवाई के दौरान उपस्थित ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि अंकेक्षण की प्रक्रिया पारदर्शी और जनसहभागिता आधारित होनी चाहिए। कई ग्रामीणों ने यह भी मांग रखी कि भविष्य में सामाजिक अंकेक्षण से पहले पंचायत स्तर पर सार्वजनिक सूचना दी जाए, ताकि अधिक लोग अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें।

न्यूज़ देखो: जनसहभागिता से ही सशक्त होगी पंचायत व्यवस्था
सिगसिगी पंचायत का यह मामला बताता है कि ग्रामीण योजनाओं में पारदर्शिता तभी सुनिश्चित होगी जब सामाजिक अंकेक्षण खुली भागीदारी के साथ किया जाए। ऐसे अंकेक्षण ग्रामीण जनता को जवाबदेही का अवसर देते हैं और प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने की याद दिलाते हैं।
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जवाबदेही से बनेगा मजबूत समाज
अब समय है कि हर नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बने और विकास कार्यों की निगरानी में भाग ले। सामाजिक अंकेक्षण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि जनता की ताकत है। आइए, अपने क्षेत्र की योजनाओं पर नजर रखें और पारदर्शिता की इस मुहिम में शामिल हों।
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