
#पलामू #मृदा_स्वास्थ्य : प्रखंड कृषि पदाधिकारी और तकनीकी अधिकारियों के मार्गदर्शन में विद्यालय में विद्यार्थियों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति और जैविक खेती की जानकारी दी गई
- पलामू के स्तरोन्नत उच्च विद्यालय करकट्टा में 10 सितंबर 2025 को प्रखंड कृषि अनुज कुमार पासवान और प्रखंड तकनीकी सहायक अधिकारी के नेतृत्व में मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- कक्षा दसवीं की छात्राएं रागिनी कुमारी और रोशनी कुमारी ने भारतीय संस्कृति के अनुसार चंदन टिका और पुष्प वर्षा कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
- विद्यार्थियों को मिट्टी में कमी, फसल पैदावार पर प्रभाव और जैविक खाद के उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
- प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह ने स्वागत भाषण में बच्चों को कार्यक्रम का महत्व बताया और सभी शिक्षकों के साथ कार्यक्रम का संचालन किया।
- कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक राम पुकार साह, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, सूचित मेहता, कमलेश मेहता, सत्येंद्र मेहता, उपेंद्र विश्वकर्मा और अभिषेक कुमार ने बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान किया।
इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच और उसके महत्व के बारे में प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ। बच्चों ने खेत से मिट्टी उठाकर उसकी स्थिति समझी और बताया गया कि फसल की पैदावार में सुधार के लिए किस प्रकार जैविक खाद और सीमित रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह ने कहा कि इस प्रकार के व्यावहारिक कार्यक्रम बच्चों को केवल ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि उन्हें प्रकृति और कृषि के प्रति संवेदनशील बनाते हैं। सभी उपस्थित शिक्षकों ने विद्यार्थियों की जिज्ञासा को प्रोत्साहित किया और उन्हें खेतों में प्रयोगात्मक अध्ययन करने की सलाह दी।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर विशेष ध्यान
प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनुज कुमार पासवान ने बताया कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर ध्यान देना हर किसान और विद्यार्थी के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को खेतों की मिट्टी की वास्तविक स्थिति का अनुभव कराने से उन्हें कृषि और पर्यावरण के महत्व का प्रत्यक्ष ज्ञान मिलता है। इस कार्यक्रम में बच्चों को यह भी सिखाया गया कि जैविक खाद का उपयोग फसलों की पैदावार बढ़ाने और मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
बच्चों के व्यावहारिक अनुभव से सीख
छात्राओं रागिनी कुमारी और रोशनी कुमारी द्वारा चंदन टिका और पुष्प वर्षा के माध्यम से कार्यक्रम की शुरुआत ने न केवल भारतीय संस्कृति को समाहित किया, बल्कि विद्यार्थियों के लिए उत्साहजनक वातावरण भी बनाया। उन्होंने मिट्टी का निरीक्षण किया और प्रशिक्षकों की सहायता से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को समझा। शिक्षक राम पुकार साह और प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने बच्चों को बताया कि किस प्रकार सीमित उर्वरक और जैविक खाद का संतुलित उपयोग फसल उत्पादन को बढ़ा सकता है।
शिक्षक और प्रशासन की भूमिका
विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह ने कार्यक्रम में बच्चों का मार्गदर्शन किया और उपस्थित शिक्षकों को भी बच्चों के साथ सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। शिक्षक सूचित मेहता, कमलेश मेहता, सत्येंद्र मेहता, उपेंद्र विश्वकर्मा और अभिषेक कुमार ने बच्चों को मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरक प्रबंधन के महत्व पर समझाया। प्रखंड कृषि अधिकारी अनुज कुमार पासवान ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम से विद्यार्थियों में कृषि और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है और वे अपने परिवार और समुदाय में भी इसे साझा कर सकते हैं।

न्यूज़ देखो: बच्चों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति और जैविक खेती के महत्व का प्रत्यक्ष अनुभव
यह कार्यक्रम दर्शाता है कि व्यावहारिक शिक्षा और कृषि ज्ञान बच्चों के व्यक्तित्व और पर्यावरणीय समझ को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रशासन और शिक्षकों के संयुक्त प्रयास से बच्चों को कृषि और मिट्टी की सेहत के प्रति जागरूक किया गया।
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