
#लातेहार #कृषि_नवाचार : शहद उत्पादन बढ़ाने और हनी वैल्यू चेन पर जोर
- 23 जुलाई 2025 को प्रखंड जेएसएलपीएस सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ।
- प्रशिक्षण का उद्देश्य मधुमक्खी पालन और हनी वैल्यू चेन को मजबूत करना था।
- प्रशिक्षक लाभेश कुमार ने पारंपरिक और आधुनिक मधुमक्खी पालन तकनीक सिखाई।
- किसानों को शहद के औषधीय और पोषण लाभ पर विस्तृत जानकारी दी गई।
- प्रबंधन, छत्तों की देखभाल और उत्पादन बढ़ाने के उपायों पर खास जोर दिया गया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य और महत्व
लातेहार प्रखंड में आयोजित इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खी पालन को वैज्ञानिक पद्धति से बढ़ावा देना और किसानों की आय में वृद्धि करना था। हनी वैल्यू चेन के तहत किसानों को उत्पादन से लेकर बाजार तक की योजना समझाई गई।
मधुमक्खी पालन की तकनीक
प्रशिक्षण में बताया गया कि मधुमक्खी पालन के दो प्रमुख तरीके—पारंपरिक और आधुनिक— अपनाए जाते हैं। आधुनिक तकनीक से शहद उत्पादन बढ़ता है और गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
मधुमक्खी पालन के लाभ
- उत्पाद: शहद, मोम, प्रोपोलिस, रॉयल जेली और मधुमक्खी जहर।
- परागण: फसलों की पैदावार में वृद्धि।
- कम निवेश: न्यूनतम पूंजी में बेहतर लाभ।
छत्तों की देखभाल और उत्पादन
जिला कार्यक्रम प्रबंधक (DPM) ने छत्तों के प्रकार, डिज़ाइन और देखभाल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सही प्रबंधन से शहद उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।
डीएम एलएच अंकित कुमार ने कहा: “शहद में प्राकृतिक शर्करा, विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। यह औषधीय गुणों से भरपूर है और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।”
शहद के उपयोग
- औषधीय उपयोग: विभिन्न बीमारियों में उपयोगी।
- खाद्य और पेय में उपयोग: मिठास के लिए प्राकृतिक विकल्प।
प्रशिक्षण का लाभ
बीपीएम आलोक कुमार ने बताया कि सही प्रशिक्षण से किसान न केवल शहद उत्पादन बढ़ा सकते हैं बल्कि मधुमक्खियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
न्यूज़ देखो: मधुमक्खी पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई उड़ान
लातेहार में आयोजित यह प्रशिक्षण साबित करता है कि साझा प्रयास और तकनीकी मार्गदर्शन से ग्रामीण आजीविका को मजबूत किया जा सकता है। शहद उत्पादन न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि स्वस्थ समाज के निर्माण में भी योगदान देगा।
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सजग किसान, सशक्त भविष्य
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