
#सिमडेगा #भागवत_कथा : दूसरे दिन भक्ति ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी से आलोकित हुआ कथा परिसर।
सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड स्थित मदर टेरेसा कॉलेज सभागार में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्तिरस का अद्भुत वातावरण देखने को मिला। प्रख्यात भागवत कथावाचक डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने अपने ओजस्वी प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का मार्ग दिखाया। कथा के दौरान राजा परीक्षित और शुकदेव संवाद, नाम स्मरण और भक्ति योग की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सहभागिता ने आयोजन को सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया।
- मदर टेरेसा कॉलेज, बानो में श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन संपन्न।
- कथावाचक डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने दिए ओजस्वी प्रवचन।
- मुख्य यजमान डॉ. प्रह्लाद मिश्रा सपत्नीक रहे उपस्थित।
- भक्ति योग, नाम स्मरण और वैराग्य पर विशेष जोर।
- भजनों और जयघोष से पूरा पंडाल हुआ भक्तिमय।
बानो प्रखंड के मदर टेरेसा कॉलेज सभागार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रद्धा, आस्था और अध्यात्म का अनूठा संगम देखने को मिला। सोमवार को आयोजित कथा में महिला-पुरुष, युवा और वृद्ध श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उपस्थित रही। पूरे वातावरण में “राधे राधे” और “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष गूंजते रहे, जिससे परिसर भक्तिरस में सराबोर हो गया। यह आयोजन क्षेत्र में आध्यात्मिक चेतना के विस्तार का सशक्त माध्यम बनता नजर आया।
वैदिक विधि से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ
दूसरे दिन की कथा का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार, दीप प्रज्वलन और भगवान श्रीकृष्ण की आरती के साथ हुआ। इसके पश्चात कथावाचक डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने मंच से श्रीमद्भागवत महापुराण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भागवत केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन को अज्ञान से ज्ञान और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला दिव्य मार्गदर्शक है।
भागवत कथा का जीवन से संबंध
डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने कहा:
“श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से मन की विकृतियां दूर होती हैं और व्यक्ति के भीतर भक्ति, प्रेम और करुणा का संचार होता है।”
उन्होंने बताया कि आज के समय में जब मानव भौतिक सुख-सुविधाओं की दौड़ में मानसिक तनाव और अशांति से घिरता जा रहा है, तब भागवत कथा जीवन में संतुलन और शांति स्थापित करने का कार्य करती है। भक्ति के बिना ज्ञान अधूरा और सेवा के बिना भक्ति निष्फल मानी गई है।
राजा परीक्षित और शुकदेव संवाद का प्रसंग
कथा के दूसरे दिन महाराज जी ने राजा परीक्षित और शुकदेव जी के संवाद, सृष्टि की उत्पत्ति, और नाम स्मरण की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कलियुग में ईश्वर का नाम ही सबसे बड़ा सहारा है।
उन्होंने कहा:
“जिस प्रकार गंदे पानी को स्वच्छ करने के लिए उसे बहते जल से जोड़ा जाता है, उसी प्रकार मन को शुद्ध करने के लिए उसे ईश्वर भक्ति से जोड़ना आवश्यक है।”
समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार
डॉ. त्रिपाठी जी महाराज ने अपने प्रवचन में समाज में व्याप्त अहंकार, लोभ और ईर्ष्या जैसी बुराइयों पर भी करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति अपने भीतर से अहंकार का त्याग नहीं करता, तब तक उसे सच्चे आनंद की अनुभूति नहीं हो सकती। भागवत का संदेश है कि सभी जीवों में ईश्वर का वास है और द्वेष भाव स्वयं के लिए ही कष्टदायक होता है।
भक्ति योग और आचरण पर विशेष जोर
दूसरे दिन की कथा में भक्ति योग पर विशेष बल दिया गया। महाराज जी ने स्पष्ट किया कि भक्ति कोई दिखावा नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से निकला भाव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपने दैनिक जीवन में सत्य, अहिंसा, करुणा और सेवा को अपनाने का आग्रह किया। माता-पिता का सम्मान, गुरु की आज्ञा और समाज के प्रति कर्तव्य को सच्ची भक्ति का आधार बताया गया।
भजनों से भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
कथा के दौरान प्रस्तुत किए गए भावपूर्ण भजनों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। जैसे ही भजन “श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी” गूंजा, पूरा पंडाल भक्ति रस में डूब गया। श्रद्धालु झूमते हुए भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन नजर आए। महिलाओं की बड़ी संख्या ने तालियों और जयघोष के साथ कथा का आनंद लिया।
युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास
महाराज जी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना और आध्यात्मिक चेतना का जागरण करना है। कथा के माध्यम से युवाओं को सनातन संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वे आधुनिकता के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को भी पहचान सकें।
समापन, प्रसाद वितरण और आगे की कथा
कथा के समापन पर आरती और प्रसाद वितरण किया गया। श्रद्धालुओं ने डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज की वाणी को सरल, सहज और हृदय को छू लेने वाली बताया। आयोजकों ने जानकारी दी कि श्रीमद्भागवत कथा आगामी दिनों तक जारी रहेगी, जिसमें भक्त प्रह्लाद, ध्रुव चरित्र, गोवर्धन लीला और रास लीला का भावपूर्ण वर्णन किया जाएगा।
न्यूज़ देखो: आध्यात्मिक चेतना का सशक्त माध्यम बनती भागवत कथा
बानो में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज में नैतिकता और आत्मिक शांति के प्रसार का सशक्त मंच बनकर उभरा है। डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज के प्रवचनों ने यह स्पष्ट किया कि आज के तनावपूर्ण समय में आध्यात्मिक मार्ग ही संतुलन का आधार है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सहभागिता इस बात का संकेत है कि समाज आज भी आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़ना चाहता है। आने वाले दिनों में कथा का प्रभाव क्षेत्र में और व्यापक होने की संभावना है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
भक्ति के मार्ग पर बढ़ता समाज, आत्मिक शांति की ओर कदम
आज जब जीवन की दौड़ में मन अशांत है, तब ऐसे आयोजन आत्मा को सुकून देने का कार्य करते हैं। श्रीमद्भागवत कथा हमें अपने भीतर झांकने और बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है





