
#गढ़वा #सांस्कृतिकआस्था : धार्मिक श्रद्धा से सराबोर आयोजन में उमड़ी रामभक्तों की भीड़
- मां गढ़देवी मंदिर परिसर में हुआ साप्ताहिक सुंदरकांड पाठ।
- मानस मंडली बिशनपुर इकाई गढ़वा ने किया आयोजन।
- 2013 से लगातार हर मंगलवार सुंदरकांड पाठ की परंपरा।
- भजन-कीर्तन, आरती और प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ कार्यक्रम।
- अरुण दुबे को अंगवस्त्र और पुष्पमाला से सम्मानित किया गया।
- 250 से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया भाग, रामभक्ति में लीन रहे भक्त।
श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम
गढ़वा शहर के प्रसिद्ध मां गढ़देवी मंदिर प्रांगण में मंगलवार को धार्मिक उल्लास और भक्ति से सराबोर दृश्य देखने को मिला। मानस मंडली बिशनपुर इकाई गढ़वा की ओर से आयोजित साप्ताहिक संगीत में इस बार भी श्री सुंदरकांड पाठ एवं श्रीरामचरितमानस खंड पाठ का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य घर-घर में सुख, शांति और समृद्धि की कामना तथा विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना करना रहा।
परंपरा जो 2013 से जारी
मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि यह आयोजन वर्ष 2013 से लगातार हर मंगलवार को होता आ रहा है। समिति का मानना है कि सुंदरकांड पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आयोजकों ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को अपने घरों में श्री हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
मंत्रोच्चार, भजन और आरती से गूंजा मंदिर परिसर
कार्यक्रम की शुरुआत मां गढ़देवी और श्रीराम दरबार की पूजा-अर्चना से हुई। मंत्रोच्चार के बीच पुष्प माला और धूप-दीप निवेदन के साथ पूजा संपन्न हुई। इसके बाद मानस मंडली के कलाकारों ने संगीतमय सुंदरकांड पाठ, भजन-कीर्तन और आरती की प्रस्तुति दी। अंत में प्रसाद वितरण कर भक्तों का स्वागत किया गया।
सम्मान और सहभागिता
इस अवसर पर मंदिर समिति ने मानस मंडली के मुख्य व्यास अरुण दुबे को अंगवस्त्र और पुष्पमाला देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मंदिर के पुजारी राजन पांडे, मुन्ना दुबे, बृजेश कुमार पांडे, आत्मा पांडे, अमरेंद्र कुमार मिश्रा, द्वारकानाथ पांडे, अधिवक्ता सतीश चौबे सहित 250 से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। शहर और ग्रामीण इलाकों से आए रामभक्त देर शाम तक राम नाम में लीन रहे।



न्यूज़ देखो: गढ़वा की भक्ति परंपरा का जीवंत उदाहरण
मां गढ़देवी मंदिर में लगातार चल रही यह परंपरा गढ़वा जिले की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है। ऐसे आयोजन न केवल आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मकता और एकजुटता का संदेश भी देते हैं।
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समय है आस्था और संस्कारों को आगे बढ़ाने का
ऐसी धार्मिक परंपराएं हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं। आप भी अपने आस-पास ऐसे आयोजनों में हिस्सा लें, अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों व परिवार के साथ शेयर करें।
गढ़वा के मां गढ़देवी मंदिर में हर मंगलवार होने वाला सुंदरकांड पाठ भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गया है। 2013 से जारी इस परंपरा में लगातार बढ़ती भागीदारी बताती है कि आज भी समाज में धार्मिक मूल्यों की गहरी जड़ें मौजूद हैं। इस आयोजन ने साबित किया कि भक्ति के माध्यम से सकारात्मक बदलाव और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है।