
#सिमडेगा #स्वास्थ्य_जागरूकता : शांति भवन मेडिकल सेंटर की टीम ने छात्रों को शारीरिक और दंत स्वास्थ्य के प्रति किया जागरूक
- सेंट जॉन्स स्कूल इंग्लिश मीडियम, फरसबेरा में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन।
- शांति भवन मेडिकल सेंटर की विशेषज्ञ टीम ने विद्यार्थियों को दी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी।
- डॉ. संजीत साहा ने संतुलित आहार, स्क्रीन टाइम और शरीर की देखभाल पर दिया मार्गदर्शन।
- डॉ. क्लेमेंट ने दंत स्वास्थ्य और दाँतों की सही देखभाल के उपाय बताए।
- कक्षा 1 से 10 तक के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में लिया सक्रिय भाग।
सिमडेगा जिले के फरसबेरा स्थित सेंट जॉन्स स्कूल इंग्लिश मीडियम में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शांति भवन मेडिकल सेंटर की ओर से आयोजित किया गया, जिसमें विद्यालय के कक्षा 1 से कक्षा 10 तक के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को प्रारंभिक अवस्था से ही शारीरिक, मानसिक और दंत स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना रहा।
शांति भवन मेडिकल सेंटर की टीम की सहभागिता
स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम के तहत शांति भवन मेडिकल सेंटर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बिस्वजीत देहुरी, आपातकालीन सेवाओं के निदेशक डॉ. संजीत साहा (एमबीबीएस, ऑर्थो) तथा दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. क्लेमेंट प्रातः 10:00 बजे विद्यालय पहुंचे। विद्यालय प्रबंधन द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया, जिसके बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई।
संतुलित आहार और स्क्रीन टाइम पर विशेष जोर
कार्यक्रम के दौरान डॉ. संजीत साहा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बच्चों को समझाया कि आज के डिजिटल युग में मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अत्यधिक उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
डॉ. संजीत साहा ने कहा: “विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ अपने शरीर की देखभाल पर भी ध्यान देना चाहिए। संतुलित भोजन, पर्याप्त नींद और सीमित स्क्रीन टाइम ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि खेलकूद और शारीरिक गतिविधियां बच्चों के मानसिक विकास में भी सहायक होती हैं।
दंत स्वास्थ्य पर जागरूकता
इसके पश्चात दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. क्लेमेंट ने दंत स्वास्थ्य पर व्याख्यान दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि दाँतों की नियमित सफाई, सही ब्रश करने की विधि और समय-समय पर दंत जांच क्यों आवश्यक है। उन्होंने मीठे पदार्थों के अधिक सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी।
डॉ. क्लेमेंट ने बच्चों को सरल भाषा में दंत रोगों से बचाव के उपाय समझाए, जिससे बच्चे आसानी से इन्हें अपने दैनिक जीवन में अपनाएं।
परामर्श के लिए विद्यार्थियों को किया गया प्रेरित
शांति भवन मेडिकल सेंटर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बिस्वजीत देहुरी ने विद्यार्थियों को आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल में परामर्श और काउंसलिंग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि समय पर चिकित्सकीय सलाह लेने से कई बीमारियों को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य, और बच्चों को किसी भी समस्या में संकोच नहीं करना चाहिए।
विद्यालय प्रबंधन ने जताया आभार
कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय के प्रबंधक विक्टर केरकेट्टा ने शांति भवन मेडिकल सेंटर की पूरी टीम का विद्यालय आगमन और विद्यार्थियों को उपयोगी जानकारी देने के लिए आभार व्यक्त किया। वहीं विद्यालय की प्रधानाचार्या राज लक्ष्मी वर्मा ने भी टीम का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।
उन्होंने भविष्य में किशोरावस्था, मानसिक स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैली जैसे विषयों पर और भी जागरूकता सत्र आयोजित करने का अनुरोध किया।
शिक्षकों के सहयोग से सफल आयोजन
यह पूरा कार्यक्रम शिक्षक कमल एवं उनकी टीम के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। विद्यार्थियों ने भी कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवालों के माध्यम से सक्रिय भागीदारी निभाई और स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं।



न्यूज़ देखो: बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की सराहनीय पहल
विद्यालय स्तर पर इस प्रकार के स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम बच्चों के भविष्य को स्वस्थ दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शांति भवन मेडिकल सेंटर और सेंट जॉन्स स्कूल की यह पहल समाज में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक संदेश देती है। यदि ऐसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित हों, तो बच्चों में प्रारंभ से ही स्वस्थ जीवनशैली विकसित हो सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वस्थ बचपन से ही मजबूत भविष्य का निर्माण
स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ समाज की नींव रखते हैं।
यदि आपके क्षेत्र के विद्यालयों में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित हों, तो बच्चों का आत्मविश्वास और जागरूकता दोनों बढ़ेगी।
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