- सतबरवा के परहिया टोला सलैया में आदिम जनजाति को आंगनबाड़ी सेविका पद पर चयन नहीं।
- 11 जनवरी को आम सभा में उरांव जाति से सेविका का चयन किया गया।
- ग्रामीणों ने चयन रद्द कर पुनः आदिम जनजाति के चयन की मांग की।
घटना का विवरण:
सतबरवा प्रखंड के परहिया टोला सलैया में आंगनबाड़ी सेविका के चयन में आदिम जनजाति को नजरअंदाज किए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश है। जबकि पोषक क्षेत्र परहिया टोला में है और आंगनबाड़ी केंद्र भी आदिम जनजाति बहुल सलैया में बन रहा है।
ग्रामीणों का आरोप:
वार्ड सदस्य बबलू परहिया, नरेश परहिया, राजकुमार परहिया, और अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चयन प्रक्रिया में उरांव जाति को वरीयता दी गई, जबकि ज्ञापांक संख्या 1270 और 1699 के अनुसार आदिम जनजाति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा,
“आबादी के बावजूद आदिम जनजाति का चयन न होना अन्यायपूर्ण है। चयन रद्द कर पुनः आम सभा आयोजित की जाए।”
सरकारी निर्देश और अनदेखी:
29 जुलाई 2024 और 16 दिसंबर 2024 के उप विकास आयुक्त के निर्देशों के अनुसार, आदिम जनजाति वाले क्षेत्रों में सेविका और सहायिका का चयन जातीय आबादी के आधार पर होना चाहिए। इसके बावजूद उरांव जाति का चयन किए जाने पर आदिवासी समुदाय ने असंतोष जताया।
प्रशासन का पक्ष:
प्रभारी सीडीपीओ सह बीडीओ जागो महतो ने कहा,
“परहिया टोला की जनसंख्या के आधार पर मामले की पुनः समीक्षा की जाएगी।”
क्लर्क सतीश उरांव ने कहा कि चयन प्रक्रिया सर्कुलर के अनुसार पूरी की गई है।
ग्रामीणों की चेतावनी:
ग्रामीणों ने चयन को रद्द कर आदिम जनजाति का चयन करने की मांग की है। वार्ड सदस्य बबलू परहिया ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
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