
#गढ़वा #सरकारीदवाओं_का_दुरुपयोग : आयुष्मान आरोग्यम मंदिर की बंदी के बीच निजी अस्पताल में भारी मात्रा में सरकारी दवाएं मिलने से मचा हड़कंप
- डंडई के सिद्धिविनायक हॉस्पिटल में सरकारी आयुर्वेदिक दवाओं की भारी खेप बरामद
- दवाओं पर झारखंड सरकार का लोगो अंकित, पेटियों में मिलीं लवण भास्कर चूर्ण, दशमूलारिष्ट सहित कई औषधियां
- आयुष्मान आरोग्यम मंदिर कई महीनों से बंद, मरीजों को नहीं मिल रही निःशुल्क दवा सुविधा
- निजी अस्पताल के संचालक डॉक्टर अखिलेश और पत्नी डॉक्टर रीना, दोनों आरोग्यम मंदिर में पदस्थ
- डॉक्टर अखिलेश का दावा – बारिश के कारण दवाएं आरोग्यम केंद्र में नहीं ले जाई जा सकीं
- प्रभारी डीएमओ डॉक्टर रामनारायण कर्क ने दी जांच की बात, दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी
सरकारी दवा का निजी इस्तेमाल? डंडई में उजागर हुआ गंभीर मामला
डंडई प्रखंड में संचालित एक निजी अस्पताल सिद्धिविनायक हॉस्पिटल के स्टोर रूम से सरकारी आयुर्वेदिक दवाओं की भारी खेप मिलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ये दवाएं सरकार द्वारा आयुष्मान आरोग्यम मंदिरों के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन अब इन्हें निजी अस्पताल में अवैध रूप से रखे जाने और संभवत: बाजार में बेचे जाने का संदेह गहराता जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप: जनता का हक छीना गया
स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि डंडई में सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान आरोग्यम मंदिर पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है, जबकि रोजाना मरीज दवा के लिए पहुंचते हैं और खाली हाथ लौट जाते हैं। वहीं, दूसरी ओर निजी अस्पताल में सरकारी दवाओं की भरी पेटियां मिली हैं, जिनमें लवण भास्कर चूर्ण, दशमूलारिष्ट, रसनासप्तक क्वाथ, अशोकारिष्ट और पुष्यनुग चूर्ण जैसी प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां शामिल हैं। इन पर साफ तौर पर झारखंड सरकार का लोगो अंकित है।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि डॉक्टर अखिलेश कुमार और उनकी पत्नी डॉक्टर रीना भारती, जो कि आयुष्मान आरोग्यम मंदिर के सरकारी चिकित्सक हैं, इन दवाओं को अपने निजी अस्पताल में रखकर खुलेआम बेच रहे हैं। यह न केवल जनता के अधिकारों का हनन है, बल्कि सरकारी पद और संसाधनों के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला भी है।
संचालक का बचाव: “बारिश के कारण नहीं पहुंचा पाए दवा”
मीडिया द्वारा पूछे जाने पर डॉक्टर अखिलेश कुमार ने सफाई दी कि, “विभाग द्वारा आयुर्वेदिक औषधालय में रखने के लिए दवाएं मिली थीं, लेकिन बारिश के कारण उन्हें आरोग्य मंदिर में नहीं पहुंचाया जा सका।” हालांकि, सवाल यह उठता है कि अगर आरोग्यम मंदिर कई महीनों से बंद पड़ा है, तो दवाएं बिना सूचना के निजी अस्पताल में क्यों रखी गईं? क्या विभाग को इस स्थानांतरण की सूचना दी गई थी?
डीएमओ का बयान: “सत्यता की जांच कर होगी कार्रवाई”
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए गढ़वा के प्रभारी डीएमओ डॉक्टर रामनारायण कर्क ने कहा:
डॉ. रामनारायण कर्क ने कहा: “यह मामला संज्ञान में आया है। सत्यता की जांच की जाएगी और यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। सरकारी दवाओं का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
जनता के विश्वास से खिलवाड़, सवालों के घेरे में पूरा तंत्र
यह घटना न केवल सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग की ओर इशारा करती है, बल्कि जनता के स्वास्थ्य अधिकारों और भरोसे को चोट पहुंचाती है। डंडई प्रखंड में जब मरीजों को निःशुल्क दवा नहीं मिल रही है, तब उनका सरकारी दवाएं निजी अस्पताल में मिलना गंभीर चिंता का विषय है। स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग की निगरानी और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े होते हैं।


न्यूज़ देखो: जनता के हक पर निजी मुनाफा, अब वक्त है कार्रवाई का
यह मामला इस बात की मिसाल है कि जब सरकारी योजनाओं का उचित क्रियान्वयन नहीं होता, तो कैसे आम जनता अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है। ‘न्यूज़ देखो’ प्रशासन से यह मांग करता है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति सरकारी पद का इस तरह दुरुपयोग न कर सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग समाज ही जवाबदेह प्रशासन की नींव है
अब समय आ गया है कि नागरिक समाज अपनी जिम्मेदारी समझे और ऐसे मामलों पर खुलकर सवाल उठाए। यह घटना बताती है कि एकजुटता, सजगता और सक्रिय भागीदारी से ही पारदर्शी शासन व्यवस्था संभव है।
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