
#गिरिडीह #कुड़मीआंदोलन : एसएसकेबी हाई स्कूल मैदान में बुद्धिजीवियों और युवाओं की महत्वपूर्ण बैठक रविवार को आयोजित
- कुड़मी समाज ने 20 सितंबर को प्रस्तावित रेल रोको आंदोलन की तैयारी तेज कर दी।
- आंदोलन की रणनीति और रूपरेखा तय करने हेतु डुमरी फुटबॉल मैदान स्थित एसएसकेबी हाई स्कूल में बैठक होगी।
- बैठक में बुद्धिजीवी, प्रतिनिधि और युवा साथियों की भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की गई।
- आयोजकों ने कहा – यह आंदोलन संविधान सम्मत अधिकार और पहचान के लिए जरूरी है।
- समाज के हर वर्ग से एकजुट होकर अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने की अपील।
डुमरी प्रखंड क्षेत्र में कुड़मी समाज द्वारा आगामी 20 सितंबर को प्रस्तावित रेल रोको आंदोलन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए रविवार को डुमरी फुटबॉल मैदान स्थित एसएसकेबी हाई स्कूल प्रांगण में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक को आंदोलन की दिशा और सफलता के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें आंदोलन की रूपरेखा और जनसमर्थन जुटाने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
आंदोलन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
कुड़मी समाज लंबे समय से अपनी ऐतिहासिक पहचान और संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर आवाज उठा रहा है। समाज के नेताओं का मानना है कि जब तक बड़े पैमाने पर एकजुट आंदोलन नहीं होगा, तब तक उनकी मांगों को सरकार तक सही रूप में नहीं पहुंचाया जा सकेगा। इसी कारण 20 सितंबर को रेल रोको कार्यक्रम का निर्णय लिया गया है।
नेताओं की अपील और संदेश
आयोजकों ने कहा:
“कुड़मी समाज की ऐतिहासिक पहचान और संविधान सम्मत अधिकारों के लिए यह आंदोलन अत्यंत आवश्यक है। अतः समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर आगे आना होगा।”
इसके साथ ही नेताओं ने बुद्धिजीवियों, प्रतिनिधियों और युवाओं से विशेष आग्रह किया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित हों और समाज की ताकत और एकजुटता का परिचय दें।
बैठक की रणनीति और चर्चा के मुद्दे
इस बैठक में रेल रोको आंदोलन की रूपरेखा, स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर जनसमर्थन जुटाने की योजना, और आंदोलन के दौरान शांति और अनुशासन बनाए रखने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। आयोजकों का कहना है कि यह केवल एक आंदोलन नहीं बल्कि समाज की अस्मिता और अधिकारों की रक्षा का संगठित प्रयास है।
समाज में उत्साह और भागीदारी
डुमरी क्षेत्र में इस आंदोलन को लेकर युवाओं और प्रतिनिधियों के बीच खासा उत्साह देखा जा रहा है। लोग इसे समाज की एकता और मजबूती का प्रतीक मान रहे हैं। “जय कुड़मी”, “जय कुड़माली”, “जय आदिवासी” और “जय जोहार” के नारों के साथ आंदोलन को व्यापक समर्थन दिलाने का प्रयास जारी है।



न्यूज़ देखो: अधिकार और पहचान की लड़ाई
यह आंदोलन केवल एक रेल रोको कार्यक्रम नहीं बल्कि समाज के संवैधानिक अधिकारों और ऐतिहासिक पहचान की लड़ाई है। यदि बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं तो सरकार तक एक मजबूत संदेश जाएगा कि कुड़मी समाज अपने अधिकारों के लिए पूरी तरह संगठित है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
एकता से ही अधिकार की प्राप्ति
अब वक्त है कि कुड़मी समाज के हर वर्ग से जुड़े लोग अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और इस आंदोलन को ऐतिहासिक बनाएं। सजग नागरिक के रूप में हमें भी समाज की एकता और अधिकारों की इस लड़ाई में साथ देना चाहिए। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और आंदोलन को मजबूती प्रदान करें।