पलामू में अबुआ आवास योजना घोटाले पर कड़ी कार्रवाई, मुखिया मंजू देवी की वित्तीय शक्तियां जब्त

#पलामू #अबुआआवासघोटाला — 11 योग्य लाभार्थियों को किया गया वंचित, तीन अधिकारियों पर गिरी गाज

मुखिया मंजू देवी की शक्तियों पर रोक

पलामू जिले के पाटन प्रखंड अंतर्गत सगुना पंचायत की मुखिया मंजू देवी की वित्तीय शक्तियों को जब्त कर लिया गया है।
यह कार्रवाई उपायुक्त समीरा एस के निर्देश पर की गई, जिसके तहत पंचायतीराज विभाग को पत्र भेजकर वित्तीय शक्ति निलंबन की अनुशंसा की गई।

मुखिया पर आरोप है कि उन्होंने अबुआ आवास योजना के तहत 11 योग्य लाभार्थियों को अयोग्य घोषित कर, अयोग्य लोगों को लाभ पहुंचाया। यह स्पष्ट रूप से योजना की भावना और नियमों के विरुद्ध है।

पंचायत सचिवों का तत्काल निलंबन

मुखिया के साथ-साथ सगुना पंचायत के सचिव अहमद हुसैन अंसारी को भी तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
उन्हें निलंबन अवधि में लेस्लीगंज मुख्यालय में रहने का निर्देश दिया गया है।
इसी तरह, पड़वा प्रखंड के गाड़ीखास पंचायत के सचिव मनोज कुमार मिश्र को भी निलंबित किया गया है।

उनके खिलाफ एक गंभीर शिकायत दर्ज की गई थी कि उन्होंने आवास योजना का लाभ देने के बदले 10,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।

जांच में दोष सिद्ध, मंत्री के निर्देश पर कार्रवाई

इस मामले की जांच राज्य के वित्त सह संसदीय कार्यमंत्री के निर्देश पर कराई गई थी।
जांच में आरोप सत्य पाए गए, जिसके आधार पर मनोज कुमार मिश्र को निलंबित कर दिया गया है।
उन्हें निलंबन अवधि में सदर प्रखंड में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है।

पलामू उपायुक्त कार्यालय के पत्र में कहा गया: “योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही और भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। विभागीय कार्रवाई जारी है।”

सिस्टम की गड़बड़ियों पर शिकंजा

इस प्रकरण से साफ होता है कि योजनाओं के लाभ से वंचित किए गए पात्र लाभार्थियों की शिकायतें अब गंभीरता से ली जा रही हैं।
पंचायतीराज व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है।
जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मियों की मिलीभगत उजागर होने से प्रशासन की सक्रियता का संकेत मिलता है।

न्यूज़ देखो: योजनाओं का हकदार ही पाए, यही असली विकास

अबुआ आवास जैसी योजनाएं गरीबों और जरूरतमंदों के जीवन में आशा की किरण बनती हैं।
लेकिन जब इन योजनाओं में भ्रष्टाचार या भेदभाव होता है, तो यह न सिर्फ शासन व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि गांव-गरीब की उम्मीदों को भी तोड़ता है
न्यूज़ देखो इस खबर के माध्यम से यह स्पष्ट करता है कि योजनाओं का हकदार वही हो जिसे वास्तव में जरूरत है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सतर्क समाज ही बदलाव की कुंजी

सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए नागरिकों की भागीदारी और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है।
यदि आप भी अपने क्षेत्र में किसी योजना में गड़बड़ी या भेदभाव देखें, तो बिना डरे अपनी आवाज उठाएं।
इस खबर पर अपनी राय साझा करें, लेख को रेट करें और उसे उन लोगों के साथ जरूर साझा करें जिन्हें ऐसी सूचनाओं की जरूरत है।

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