
#लातेहार #खनन_नियंत्रण — 10 जून से 15 अक्टूबर तक सभी बालू घाटों से उठाव पूरी तरह प्रतिबंधित
- 10 जून 2025 से 15 अक्टूबर 2025 तक बालू उठाव पर पूर्ण रोक
- रोक Category-I और Category-II के सभी बालू घाटों पर लागू
- एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत लिया गया निर्णय
- उल्लंघन करने वालों पर JMMC Rule-2004 और MDDR Act, 1957 के तहत होगी कड़ी कार्रवाई
- मानसून सत्र में नदियों से खनन पूरी तरह अवैध घोषित किया गया
आदेश का कानूनी और पर्यावरणीय आधार
लातेहार जिला प्रशासन द्वारा मानसून सत्र 2025–26 के लिए जारी आम सूचना के अनुसार, बालू उठाव पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। यह निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली द्वारा पारित आदेश, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की Sustainable Sand Mining Management Guidelines (2016 और 2020), और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, नागपुर के पत्र के आलोक में लिया गया है।
बालू उठाव पर प्रतिबंध की अवधि
झारखंड राज्य में मानसून सत्र को ध्यान में रखते हुए 10 जून 2025 से 15 अक्टूबर 2025 तक सभी Category-I और Category-II बालू घाटों से बालू उठाव पर सख्त प्रतिबंध लागू रहेगा। इस अवधि में किसी भी प्रकार का खनन या उठाव अवैध माना जाएगा।
एनजीटी और SEIAA की सख्त सिफारिशें
SEIAA के दिशानिर्देशों और NGT के आदेश दिनांक 17.08.2016 में स्पष्ट कहा गया है:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल: “During monsoon period mining should not be permitted in rivers/streams particularly.”
यह निर्देश नदियों की पारिस्थितिकी और जल प्रवाह की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक माने गए हैं।
उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी
जिला प्रशासन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था इस आदेश की अवहेलना करते हुए बालू का अवैध उठाव करते हुए पकड़ी जाती है, तो उस पर JMMC Rule-2004 (संशोधित 2017) और MDDR Act, 1957 की धारा 21(5) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश लातेहार जिले के सभी बालू घाटों पर समान रूप से लागू होगा।
न्यूज़ देखो: पर्यावरण सुरक्षा में प्रशासनिक सख्ती का स्वागत
लातेहार प्रशासन द्वारा मानसून सत्र में बालू खनन पर प्रतिबंध लगाना साहसिक और पर्यावरण के अनुकूल निर्णय है। नदियों की प्राकृतिक धारा, तटीय पारिस्थितिकी और जीवविविधता को बचाने के लिए इस तरह की कार्रवाई जरूरी थी। न्यूज़ देखो प्रशासन के इस फैसले को स्थानीय जागरूकता और पारिस्थितिक संतुलन की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानता है और आशा करता है कि इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा।
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नदी और पर्यावरण हमारे साझा संसाधन हैं। मानसून सत्र में प्रतिबंधों का पालन करना न केवल कानूनी अनिवार्यता है, बल्कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। जागरूक नागरिक बनें, नियमों का पालन करें, और अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करें। इस खबर पर अपनी राय कमेंट करें, आर्टिकल को रेट करें और अपने जानने वालों के साथ साझा करें।