
#Garhwa #HealthCare : एसडीएम-सिविल सर्जन की चेतावनी—मानकों का पालन नहीं तो होगी कार्रवाई
- दो दर्जन अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालक संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए।
- पीसीपीएनडीटी अधिनियम के पालन पर जोर दिया गया।
- सीसीटीवी अनिवार्यता—मुख्य द्वार और जांच कक्ष के बाहर कैमरे लगेंगे।
- रजिस्टर और फॉर्म एफ के संधारण का निर्देश।
- लिंग परीक्षण नहीं करने की सामूहिक शपथ दिलाई गई।
- एक डॉक्टर दो केंद्रों से अधिक में सेवाएं नहीं देंगे—उल्लंघन पर कार्रवाई तय।
गढ़वा में आज आयोजित संवाद कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर विमर्श हुआ। एसडीएम संजय कुमार ने साफ शब्दों में कहा कि अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर नियमों का पालन अनिवार्य है। उन्होंने पीसीपीएनडीटी अधिनियम को लेकर कठोर निर्देश देते हुए कहा कि बिना योग्य चिकित्सक जांच करना आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है और यह किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगा।
सिविल सर्जन ने दिए स्पष्ट निर्देश
कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. जॉन एफ. कैनेडी ने उपस्थित संचालकों को स्पष्ट निर्देश दिया कि सभी जांचें चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही की जाएं। उन्होंने कहा,
डॉ. जॉन एफ. कैनेडी ने कहा: “सेल्फ या मौखिक अनुरोध पर अल्ट्रासाउंड करना खतरनाक है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के मामले में चिकित्सीय पर्ची आवश्यक है।”
सीसीटीवी और पारदर्शिता
बैठक में तय किया गया कि सभी केंद्रों के मुख्य द्वार और अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा, ताकि यह प्रमाणित हो सके कि संबंधित चिकित्सक नियमित सेवाएं दे रहे हैं।
रिकॉर्ड संधारण और फॉर्म एफ
एसडीएम और सिविल सर्जन ने रजिस्टर और फॉर्म एफ के नियमित संधारण पर विशेष जोर दिया। गर्भवती महिलाओं की जांच संबंधी सभी विवरण सिविल सर्जन कार्यालय को समय-समय पर भेजना होगा।
चिकित्सकों की सीमा और अनुपालन
निर्धारित नियमों के अनुसार एक डॉक्टर केवल दो केंद्रों तक सेवाएं दे सकता है। कार्यक्रम में यह भी स्पष्ट किया गया कि कई चिकित्सक एक से अधिक केंद्रों में नामित हैं, जो नियमों के विपरीत है। ऐसे मामलों पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
एसडीएम संजय कुमार ने कहा: “यदि डॉक्टरों की उपस्थिति प्रमाणित नहीं हुई तो यह बड़ी लापरवाही मानी जाएगी। सभी केंद्र एक माह के भीतर अपने चिकित्सकों को सत्यापन बैठक में उपस्थित कराएं।”
भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती
बैठक में उपस्थित सभी संचालकों ने सामूहिक शपथ ली कि वे भ्रूण लिंग परीक्षण नहीं करेंगे और न ही किसी महिला को ऐसी जानकारी देंगे। सिविल सर्जन ने स्वयं शपथ दिलाते हुए इसे सामाजिक दायित्व से जोड़ा।
सहभागिता और संवाद
इस संवाद में अनुमंडल के करीब दो दर्जन अल्ट्रासाउंड केंद्रों के संचालक शामिल हुए। इनमें प्रमुख नाम डॉ. कुमार निशांत सिंह, डॉ. पतंजलि कुमार केसरी, डॉ. अरशद अंसारी, डॉ. नाथुन साह, डॉ. जितेंद्र कुमार, युसूफ अंसारी, शशिकांत दुबे, नवनीत कुमार चौबे, देवेंद्र कुमार, अयूब अंसारी, बृजेश कुमार पांडेय, डॉ. पुष्पा सहगल, रविकांत, डॉ. दीपक पांडेय, डॉ. रागिनी, डॉ. उमेश्वरी आदि रहे।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता की पहल
इस संवाद से यह स्पष्ट है कि प्रशासन अब स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और कानून पालन पर कोई समझौता नहीं करेगा। अल्ट्रासाउंड केंद्रों में मानकों का पालन और भ्रूण लिंग परीक्षण पर रोक समाज के स्वास्थ्य और लैंगिक संतुलन दोनों के लिए आवश्यक कदम है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग नागरिक बनें, स्वस्थ समाज गढ़ें
यह पहल बताती है कि जब प्रशासन और सेवा प्रदाता साथ आते हैं, तो जनहित के बड़े लक्ष्य पूरे हो सकते हैं। आप भी नियमों के पालन में योगदान दें, अपने विचार कमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।