
#पलामू #डायन_हत्या : अदालत ने रेहला थाना क्षेत्र की घटना में एक ही परिवार के चार सदस्यों सहित छह दोषियों को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई।
- पलामू जिला न्यायालय ने छह आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी।
- दोषियों में अनिल रजवार, अमरेश रजवार, सुनील रजवार, संजय रजवार, सुशील रजवार और शर्मा रजवार शामिल।
- सभी पर 50-50 हजार रुपये अर्थदंड, नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त कारावास का प्रावधान।
- घटना 7 जुलाई 2021 की, मृतका सूरज मनिया देवी की धारदार हथियार से हत्या का आरोप साबित।
- डायन भूत प्रतिषेध अधिनियम के तहत भी अलग-अलग धाराओं में सजा और जुर्माना।
- कुल अर्थदंड की 50% राशि पीड़ित परिवार को मुआवजे के रूप में देने का आदेश।
पलामू जिले में तीन साल पहले हुई डायन हत्या मामले में अदालत ने कठोर रुख अपनाते हुए दोषियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रतीक चतुर्वेदी की अदालत ने सुनाया। निर्णय न केवल अपराध की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध न्यायपालिका के कठोर संदेश को भी उजागर करता है। दोषियों पर भारी अर्थदंड लगाया गया है, जिसका आधा भाग पीड़ित परिवार को दिया जाएगा। अदालत का यह निर्णय राज्य में फैलती अंधविश्वास आधारित हिंसा पर रोक लगाने के प्रयासों को और मजबूत करता है।
घटना का पूरा विवरण और न्यायिक पड़ताल
7 जुलाई 2021 की सुबह मृतका सूरज मनिया देवी के पति सुरेश रजवार ने रेहला थाना में आठ लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत के अनुसार, जब वे घर लौटे तो उन्होंने देखा कि ग्रामीण उनकी पत्नी पर धारदार हथियार से हमला कर रहे थे। आरोपियों ने मृतका को डायन कहकर धमकाया था और घर के पास नाली के समीप उसकी हत्या कर दी। यह घटना न केवल अमानवीय थी, बल्कि सामाजिक कुरीतियों की भयावहता को भी सामने लाती है।
अभियुक्तों पर अदालत का सख्त फैसला
अदालत ने प्रस्तुत साक्ष्यों, गवाहों के बयान और पुलिस जांच को देखते हुए छह आरोपियों को दोषी करार दिया।
सजा विवरण इस प्रकार है:
आईपीसी धारा 302/34 के तहत
- सभी छह आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास।
- 50-50 हजार रुपये अर्थदंड, नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त साधारण कारावास।
डायन भूत प्रतिषेध अधिनियम के तहत
- धारा 4 के तहत छह महीने की सजा और दो हजार रुपये अर्थदंड।
- धारा 3 के तहत तीन महीने की सजा और एक हजार रुपये अर्थदंड।
अदालत ने आदेश दिया कि कुल अर्थदंड की 50% राशि मृतका के परिवार को हर्जाने के रूप में प्रदान की जाए।
सामाजिक कुरीतियों पर न्यायपालिका की कड़ी टिप्पणी
फैसला स्पष्ट करता है कि न्यायपालिका अंधविश्वास और डायन जैसी अमानवीय प्रथाओं पर किसी भी रूप में सहनशील नहीं है। यह निर्णय ऐसे मामलों में राज्य के कठोर कानूनी प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करता है और समाज को संदेश देता है कि इस प्रकार की सोच और हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
न्यूज़ देखो: कानून और सामाजिक चेतना की जीत
यह फैसला बताता है कि न्यायपालिका सामाजिक कुरीतियों, विशेषकर डायन प्रथा आधारित हिंसा, को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करती। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास आधारित हिंसक घटनाएँ सामने आती हैं, ऐसे में यह निर्णय कानून की दृढ़ता और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनशीलता को मजबूत करता है। यह न्यायिक कदम समाज में जागरूकता बढ़ाने और ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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अंधविश्वास से मुक्ति ही सामाजिक प्रगति का मार्ग
अब समय है कि समाज मिलकर ऐसे अपराधों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाए और अंधविश्वास को जड़ से उखाड़ फेंके। न्यायपालिका ने अपना काम कर दिया, अब जिम्मेदारी नागरिकों की है कि वे शिक्षित, जागरूक और संवेदनशील समाज का निर्माण करें।
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