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मॉनसून में फसलों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम — आवारा पशु छोड़े तो भरना होगा जुर्माना

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#बरवाडीह #कृषि_सुरक्षा : ग्राम कुटमू के बैगा जयराम भूईंया ने दी चेतावनी — मॉनसून में आवारा पशु छोड़े तो 500 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा
  • खेती के मौसम में फसल बचाने की ग्रामीणों ने ली जिम्मेदारी
  • बैगा जयराम भूईंया ने सभी पशुपालकों से की अपील
  • आवारा पशुओं से फसल को नुकसान पहुंचा तो देना होगा जुर्माना
  • 500 रुपये तक की आर्थिक क्षतिपूर्ति तय
  • सूचना की अनदेखी पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी

मॉनसून में खेतों में चल रहा काम, पशुओं की अनदेखी बनी चिंता

बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत ग्राम कुटमू में मॉनसून के साथ ही खेती-किसानी का कार्य जोर पर है। किसान इन दिनों धान का बिचड़ा, मूंगफली, मकई और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई में जुटे हैं। ऐसे समय में आवारा पशुओं द्वारा खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाना एक बड़ी समस्या बन रही है।

बैगा ने की सार्वजनिक अपील, हंकवा कर दी चेतावनी

ग्राम बैगा जयराम भूईंया ने मंगलवार रात गांव में हंकवा कर सभी पशुपालकों से अपने मवेशियों की जिम्मेदारी से देखभाल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी पशुपालक का मवेशी किसी खेत में नुकसान करते पाया गया, तो उसे तत्काल क्षतिपूर्ति करनी होगी और साथ ही ₹500 जुर्माना भी देना पड़ेगा

बैगा जयराम भूईंया ने कहा: “खेती का समय चल रहा है, हम सबकी जिम्मेदारी है कि फसलें सुरक्षित रहें। जो पशुपालक चेतावनी के बाद भी लापरवाही करेंगे, उन्हें जुर्माना देना होगा।”

किसान-हित में सामूहिक चेतावनी, फसल नुकसान पर नहीं मिलेगी छूट

ग्रामीणों ने एकमत होकर तय किया है कि जो भी व्यक्ति अपनी गाय, बैल, भैंस या अन्य पशु खुले में छोड़ता है और उनके कारण फसलें नष्ट होती हैं, उसे किसी भी स्थिति में माफ नहीं किया जाएगा। यह नियम सभी किसानों की फसल बचाने के लिए लागू किया गया है।

खेत की रखवाली में जुटे किसान, पशुपालकों से सहयोग की अपील

ग्रामीण क्षेत्र में किसान दिन-रात खेतों में मेहनत कर रहे हैं। फसलों की रक्षा के लिए रात में भी खेतों में रुकने की नौबत आ गई है। ऐसे में यदि पशुपालक अपने पशुओं को खुला छोड़ते हैं, तो यह किसानों की मेहनत पर पानी फेरने जैसा है।

न्यूज़ देखो: फसल रक्षा के लिए ग्रामीण चेतना की मिसाल

ग्राम कुटमू की यह पहल दिखाती है कि जब प्रशासनिक व्यवस्था सुस्त हो, तब ग्रामीण खुद एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। फसल बचाने के लिए ग्रामीण समाज की चेतना और चेतावनी दोनों महत्वपूर्ण हैं
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

खेती है जीवन की बुनियाद, सावधानी है सबसे बड़ा समाधान

हर किसान की मेहनत अनमोल होती है और हर पशुपालक की जिम्मेदारी है कि वह इस मेहनत का सम्मान करे। आइए हम सभी सजग नागरिक बनें और एकजुट होकर खेतों, फसलों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रक्षा करें
इस जानकारी को अपने गांव, टोले और जानने वालों के साथ ज़रूर साझा करें।

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