#गढ़वा #सीमावर्तीक्षेत्र : अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बढ़ा राज्यों का तालमेल
- रामानुजगंज सर्किट हाउस में संयुक्त बैठक आयोजित।
- दोनों राज्यों के सीनियर पुलिस अफसरों और थाना प्रभारियों ने लिया हिस्सा।
- मुख्य एजेंडा: सीमावर्ती अपराधों और फरार वारंटियों पर कड़ी कार्रवाई।
- सूचना साझा करने और संयुक्त ऑपरेशन पर बनी सहमति।
- अपराधियों पर अंकुश के लिए निरंतर समन्वय और सख्त निगरानी का फैसला।
गढ़वा और छत्तीसगढ़ के बीच फैले सीमावर्ती इलाकों में हाल के महीनों में अपराधी गतिविधियों और फरार वारंटियों की संख्या बढ़ने से दोनों राज्यों के पुलिस महकमे सतर्क हो गए हैं। इसी गंभीर चुनौती से निपटने के लिए बुधवार को रामानुजगंज सर्किट हाउस में झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त बैठक हुई। इस बैठक में अपराध नियंत्रण की रणनीति पर विस्तृत चर्चा हुई और समन्वित कार्रवाई की रूपरेखा तय की गई।
अपराध क्यों बने चिंता का कारण?
सीमावर्ती इलाकों की खास चुनौतियां
इन क्षेत्रों में पुलिस की चुनौती दोगुनी है क्योंकि अपराधी सीमा पार कर आसानी से छिप सकते हैं। कई वारंटी और संगठित गिरोह इन इलाकों में सक्रिय बताए जा रहे हैं। वाहन चोरी, अवैध शराब, हथियार तस्करी और नकली नोट का कारोबार यहां मुख्य अपराधों में गिने जाते हैं।
किन अधिकारियों ने लिया हिस्सा?
बैठक में छत्तीसगढ़ से वरीय पुलिस पदाधिकारी और रामानुजगंज थाना प्रभारी, जबकि झारखंड से रंका अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, पुलिस निरीक्षक, अंचल पदाधिकारी और रंका अनुमंडल के सभी थाना प्रभारी मौजूद थे।
एक अधिकारी ने कहा: “सीमावर्ती अपराध रोकना अकेले किसी एक राज्य के लिए संभव नहीं है। इसलिए अब संयुक्त रणनीति और त्वरित सूचना आदान-प्रदान पर काम होगा।”
कार्रवाई की दिशा क्या तय हुई?
- अपराधियों की सूची साझा करने का निर्णय।
- संयुक्त ऑपरेशन और कॉम्बिंग अभियान चलाने पर सहमति।
- वारंटियों और संगठित अपराधियों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए नोडल अफसर नियुक्त करने का प्रस्ताव।
न्यूज़ देखो: सीमाओं से परे सुरक्षा का नया संकल्प
इस बैठक ने साबित किया कि अपराध भौगोलिक सीमाओं से परे है और इसे रोकने के लिए राज्यों के बीच समन्वय सबसे बड़ा हथियार है। गढ़वा-छत्तीसगढ़ की यह पहल सीमावर्ती नागरिकों में सुरक्षा का भरोसा जगाने वाला कदम है।
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