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झारखंड में दिव्यांगजन का संघर्ष: 365 दिनों से राजभवन के सामने धरना, भाजपा ने दिया समर्थन

#Ranchi #DivyangAndolan : अधिकारों की लड़ाई में भाजपा का साथ—बाबूलाल मरांडी ने दिया भरोसा

365 दिनों से जारी है संघर्ष

रांची में राजभवन के समक्ष दिव्यांगजन अपने अधिकारों की मांग को लेकर लगातार 365 दिनों से शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में नौकरी में आरक्षण, भत्तों का नियमित भुगतान, रोजगार के अवसर और दिव्यांगजन अधिनियम 2016 का पालन शामिल है। लेकिन हेमंत सरकार की बेरुख़ी ने उनके धैर्य को कठिन परीक्षा में डाल दिया है।

धरना स्थल पर मौजूद एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि “हमने सरकार से बार-बार गुहार लगाई, लेकिन केवल आश्वासन और उपेक्षा ही मिली।”

सरकार पर उपेक्षा का आरोप

धरने पर बैठे दिव्यांगजनों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं को लेकर पूरी तरह संवेदनहीन है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार न तो संवाद कर रही है और न ही उनकी मांगों पर कोई ठोस पहल कर रही है।

भाजपा का समर्थन और संकल्प

दिव्यांगजनों के आंदोलन को बल देने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी धरना स्थल पर पहुँचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी आवाज़ को न केवल सदन में बल्कि हर मंच पर जोरदार तरीके से उठाया जाएगा

बाबूलाल मरांडी ने कहा: “यह सिर्फ समर्थन का कदम नहीं है, बल्कि न्याय की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का संकल्प है। भाजपा दिव्यांगजनों के हक के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।”

दिव्यांगजन बोले—न्याय चाहिए

धरना स्थल पर मौजूद एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि “हम भी इस समाज का हिस्सा हैं। हमें भी जीने और आगे बढ़ने का समान अधिकार मिलना चाहिए। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, यह धरना जारी रहेगा।”

क्या हैं प्रमुख मांगें?

न्यूज़ देखो: सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल

यह आंदोलन राज्य सरकार की नीतियों और संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। 365 दिनों तक दिव्यांगजन खुले आसमान के नीचे बैठे रहें और सरकार चुप्पी साधे रहे, यह लोकतंत्र की आत्मा को झकझोरने वाली बात है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

न्याय की आवाज़ को और बुलंद करें

इन दिव्यांगजनों की आवाज़ सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। आइए, उनके अधिकारों की लड़ाई में हम सब साथ दें। इस खबर को पढ़ने के बाद अपनी राय कमेंट में लिखें, इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और दिव्यांगों की आवाज़ को सशक्त बनाने में मदद करें।

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